धान क्रयकेन्द्र पर बोरे और धान की गुणवत्ता के चक्कर मे धान को वापस ले जाने को मजबूर हुए किसान
अंबेडकर नगर: उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर में किसानों को धान बेचने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। बोरे की कमी और धान की गुणवत्ता आदि पर सवाल उठाते हुए उन्हें क्रय केंद्रों से लौटाया जा रहा है, जिसकी वजह से किसानों को मजबूर होकर बिचौलियों के हाथों सस्ती दर पर धान बेचना पड़ रहा है।
लॉकडाउन का फायदा बिचौलियों और राइस मिलरों ने उठाते हुए किसानों को बरगलाकर कम रेट पर धान खरीदना शुरू कर दिया।उत्तर प्रदेश का किसान इस वक्त नक़दी की भारी तंगी के दौर से गुजर रहा है। रात-दिन कड़ी मेहनत से काम करने के बावजूद किसान क़र्ज़ के मकड़जाल में फंसता जा रहा है। वहीं पहले ही लॉकडाउन से परेशान और बदहाल हुए किसानों पर मौसम की भी दोहरी मार पड़ी है।जिन लोगों के नाम पर धान खरीद के लिए ऑनलाइन आवेदन किए गए है, जिनके खेतों में धान की बजाए गन्ना लगा है।क्रय केंद्रों पर धान में नमी, बोरे की कमी और गुणवत्ता का हवाला देते हुए खरीदने से मना कर दिया जाता है।आम तौर पर यदि रबी (गेहूं) की बुआई 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच न हो तो उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। और बुआई के लिए किसान को बीज, खाद व अन्य जरूरी चीजों की जरूरत होती है। इस बाबत किसान को पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में क्रय केंद्रों पर होने वाली दिक्कत की वजह से अधिकांश किसानों को बिचौलियों के हाथों सस्ते दर पर धान की बिक्री करनी पड़ती है।
किसानों के प्रति शोषण इनके द्वारा चरम सीमा पर किया जा रहा है जिस से आहत होकर प्रतापपुर चमुर्खा के दर्जनों किसान प्रमुख सचिव सहकारिता उत्तर प्रदेश लिखित शिकायत करते हुए न्याय की मां किया है। किसानों का कहना है कि उप साधन सहकारी समिति से खाद वीज हम लोग समय-समय पर लेते रहते हैं परंतु धान बेचने के लिए हम लोगों को कोई सुविधा ही नहीं है सिर्फ दलालों का सेंटरों पर बोल वाला ही हैl
इसमें ए आर की पूर्ण रूप से मिलीभगत है उन्हीं की संरक्षण में यह गोरखधंधा फल फूल रहा है और उसकी मोटी कमाई इनके पास बराबर जाती है। जिस से आहत होकर दर्जनों किसान ईश्वरचंद्र वर्मा राधेश्याम सुरेश चंद बच्चा राम सत्यम सतीश संतराम वर्मा आदि लोगों ने प्रमुख सचिव सहकारिता उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ से जांच कराए जाने की मांग किया है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि सरकारी गेहूं खरीद का असली फायदा बिचौलिए ही उठाएंगे। वह किसानों से कम रेट पर खरीदे गए गेहूं की क्रय केंद्रों पर सप्लाई करके ही सरकारी खरीद का लक्ष्य पूरा करेंगे।
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