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कतालपुर स्थित हजरत सैयद मखदूम अहमद शाह कत्ताल आरिफ रहमतुल्लाह अलैह का मनाया गया एक दिवसीय उर्स

अतरौलिया । क्षेत्र के कतालपुर स्थित हजरत सैयद मखदूम अहमद शाह कत्ताल आरिफ रहमतुल्लाह अलैह का एक दिवसीय उर्स हर साल की तरह इस साल बुधवार को मनाया गया।
मजार के सज्जादानशीन हाफिज सैयद सरफराज अशरफ ने बताया कि दिन बुध्दवार को बाद नमाजे फजिर कुरआन ख्वानी, तथा सुबह 8 बजे चादर पोशी व कुल शरीफ के बाद बाद नमाजे मगरिब मीलाद शरीफ का प्रोग्राम हुआ ।
जिसमें क्षेत्रीय नात खांं व ओलमा के साथ साथ दूर दराज के हाफिज व कारी अपने खेताब से लोगों को सरफराज़ किया । गद्दीनशीन हाफिज सैयद अशरफ ने क्षेत्र के सभी अकीदतमंदों को उर्स में सिरकत करने की अपील की ।
सालाना उर्स के मौके पर काफी संख्या में अकीदतमंद इकट्ठा हुए ।इस अवसर पर मौलाना मोहम्मद अब्दुल बारी नईमी ने उर्स के बारे में बताया कि सालाना उर्स के मौके पर एहतराम के साथ यहां फातिहाखानी होती है फिर मोहल्ले में ईद मिलादुन्नबी का प्रोग्राम होता है।
गांव में सारे लोग इकट्ठा होते हैं जहां अल्लाह व उसके रसूल का जिक्र होता है ।बुजुर्गगाने दीन का जिक्र होता है और सारे लोग इस एहतराम के साथ मजार पर आते हैं अपनी मन्नतें के तकमील के लिए यहां दुआएं मांगते हैं ।अल्लाह ताला अपने इस महबूब बंदे के सदके में उसकी दुआएं सुनता है।
तकरीबन 800 साल पुराना यह अस्थाना है और सादाते किराम में से है। हजरत इमामे हसन ,इमामे हुसैन से इनका सिलसिलेनसब मिलता है ,आपदा खानदानी सिगरा हजरत इमामें हुसैन इमामे हसन से मिलता है ,हजरत सैयद मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानी रहमतुल्ला अलैह से भी आपका निष्पक्ष ताल्लुक है ।

किछौछा शरीफ की सरजमी पर आराम फरमा रहे हैं। मौलाना नईमी ने बताया कि यहां आबादी छोटी है और आबादी से दूर यह अस्थाना है ऐसे मौके नहीं मिले यहां कुछ और तरक्की हो, यहां जंगे गफीर हो ,आबादी दूर रहने की वजह से बहुत से सदाते किराम सादगी पसंद थे आज भी यह सादगी की तरह जिंदगी गुजारना पसंद करते थे और आज भी शादगी का पैकर अस्थाना नजर आता है क्योंकि इसके चारों तरफ कब्रिस्तान है इस वजह से तरक्की के मबाकी नहीं मिले की दुकाने सजे या और कुछ हो, क्योंकि कब्रिस्तान जहां पर होता वहां पर ना तो दुकान सजाई जा सकती ना कोई मकान, जहां दुकान और रहने सहने की जगह मिलती है वही तरक्की भी होती है ।उसके बारे में मौलाना नईमी ने बताया कि उनकी तालिमात, फरमदात उनकी अच्छाइयों का जिक्र लोगों के सामने किया जाए कि ऐसे लोग अल्लाह वाले इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं ।इन्होंने मानवता का दर्श दिया है, जाति मजहब और धर्म से ऊपर उठकर इन्होंने जो सबसे बड़ा कार्य किया है वह है इंसानियतनवाजी चाहे वह जिसकी कौम या धर्म से रहने वाला हो इससे कोई मतलब नहीं इंसान है तो इंसान के साथ इंसानियत से पेश आए और उन्होंने सबसे बड़ा जो कार्य किया लोगों को अपने रब से मिलाया है कि लोग इनकी अच्छाई को जाने पढ़ें और बुराइयों से रोके ।लोग बुराइयों से तौबा कर अच्छाइयों की जाने कायल हो जाएं ।इस मौके पर मास्टर सैयद मोहम्मद जफर, सैयद सरफराज अशरफ ,सैयद परवेज अहमद उर्फ़ भान भाई , खुर्रम, प्रधान बरकातुल्लाह, सैयद फैज अशरफ ,सैयद फहद अशरफ, सैयद जफर अशरफ, , सैयद शादाब असरफ, सैयद उबैदुल्लाह आज़मी, नवासये खानदान सैयद समीर साहब, हजरत सैयद यूसुफ अहमद शेरू , हजरत सैयद उस्मान अहमद सोनी , आदि लोग उपस्थित रहे।


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