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सच्चाई सामने आने का भय , अंडरवर्ल्ड से लेकर नेताओं तक को था अतीक के मुंह खोलने का डर,पुलिस से कबूले थे 14 नाम

प्रयागराज।माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की मेडिकल कॉलेज में पुलिस सुरक्षा में हुई हत्या ने तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं।सबके मन में पहला सवाल यही है कि आखिर अतीक और अशरफ की हत्या का मकसद क्या है।इस दुस्साहसिक वारदात को अंजाम देने वाले शूटरों ने पुलिस के सामने आसानी से सरेंडर कर दिया।पुलिस शूटरों से पूछताछ कर रही है।अतीक अशरफ की हत्या के बाद संवेदनशील इलाकों में पुलिस गश्त कर रही है।यूपी के सभी ज़िलों में धारा-144 लागू की गई है।

बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह अधिवक्ता उमेश पाल की हत्या के बाद अतीक अहमद की जरायम की दुनिया को लेकर रोज हो रहे खुलासे आतंकी संगठनों से लेकर अंडरवर्ल्ड और राजनेताओं तक के लिए मुसीबत बनते जा रहे थे।अतीक की छत्रछाया में चंद सालों में अरबपति बने कुछ कारोबारी भी इन खुलासों से परेशान थे।अतीक और अशरफ की मौत ने आतंकी संगठनों, आईएसआई और तमाम कुख्यात अपराधियों के बारे में होने वाले खुलासों पर विराम लगा दिया है।

उमेश पाल हत्याकांड के बाद बीते डेढ़ महीने के घटनाक्रम पर गौर किया जाए तो आईएसआई, लश्कर ए तैयबा, अंडरवर्ल्ड और पंजाब के असलहा तस्करों से अतीक गैंग के संबंध सामने आ चुके हैं।अतीक गैंग पर पुलिस की सख्ती राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर संगम नगरी तक के कई सफेदपोश लोगों को नागवार गुजर रही थी।किसके कहने पर अतीक और अशरफ की हत्या की गई।इसे लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। जिन शूटरों ने पुलिस के सामने सरेंडर किया है,उनसे हुई पूछताछ में भी अभी कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।

 
माफिया अतीक अहमद छह साल से जेल में रहने के बाद भी अपना साम्राज्य यूं ही नहीं चला रहा था।अतीक के कई ऐसे मददगार हैं,जो उसके लिए धन जुटाते थे।अतीक के एक इशारे पर पत्नी शाइस्ता परवीन को बताया गया पैसा पहुंचा देते थे। इसके बदले में अतीक अपने गुर्गों से उनकी मदद करता था। बरहाल अतीक ने ऐसे 14 नाम बताए हैं।यह खुलासा खुद अतीक अहमद ने कस्टडी रिमांड के तीसरे दिन धूमनगंज पुलिस के सामने किया।माना जा रहा है कि इन पर भी पुलिस शिकंजा कसेगी।

शुक्रवार देर रात लगभग दो घंटे तक अतीक और अशरफ से पूछताछ करने के बाद शनिवार को भी दोनों से सवाल पूछने का सिलसिला जारी रहा। सूत्राें का कहना है कि तीसरे दिन अतीक और अशरफ से पूछताछ में पुलिस का जोर इस बात की जानकारी जुटाने पर रहा कि जेल में रहने के बाद भी आखिर दोनों अपना साम्राज्य कैसे चलाते रहे। इस दौरान पूछताछ में यह बात सामने आई कि यह खेल उन मददगारों के जरिये किया जाता रहा, जो माफिया भाइयों के लिए फंडिंग करते हैं।

सूत्रों के मुताबिक अतीक ने पूछताछ में ऐसे 14 नाम बताए था, जो अतीक एक इशारे पर बताया गया पैसा पत्नी शाइस्ता के पास पहुंचा देेते थे।इसके बदले में अतीक उनको संरक्षण देता था। किसी भी तरह की अड़चन आने पर जेल से ही अपने गुर्गों से उनको हर तरह की मदद करता था। इस सूची में ज्यादातर बिल्डर या प्रॉपर्टी डीलिंग का धंधा करने वाले हैं,ऐसे में उनके प्रोजेक्ट के लिए जमीनों को औने-पौने दामों पर दिलवाने में भी अतीक मदद करता था।

सूत्रों के मुताबिक अतीक अहमद ने जो 14 नाम बताए हैं, उनमें से 11 नाम ऐसे हैं जो मौजूदा समय में प्रॉपर्टी के धंधे में लगे हुए हैं। इनमें कालिंदीपुरम, चकिया, मरियाडीह, बम्हरौली के अलावा असरौली, कौशाम्बी के महगांव और बेली के रहने वाले कुछ प्रॉपर्टी डीलर शामिल हैं। यह किसानाें की जमीन को औने-पौने दामों में एग्रीमेंट करा लेते हैं। इसके बाद इन्हीं जमीनों को प्लाटिंग कर ऊंचे दामों पर बेचकर तगड़ा मुनाफा कमाते हैं।

अतीक अहमद से पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि पत्नी शाइस्ता परवीन को मेयर का चुनाव लड़ने और बहुजन समाज पार्टी में शामिल होने के लिए उसने ही कहा था। शाइस्ता के बसपा ज्वाइन करते ही अतीक ने रुपयों का इंतजाम करना भी शुरू कर दिया था।इसी के तहत अतीक ने लखनऊ में रह रहे मो. मुस्लिम से 80 लाख रुपये लिए थे।(मीडियासूत्र)


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