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ललितेश्वर महादेव मंदिर अनूठा, मान्‍यता है कि प्रतिवर्ष तिल भर बढ़ता शिवालय प्रयागराज

प्रयागराज। शहर के अलोपीबाग मोहल्‍ले में मां अलोपशंकरी का प्रसिद्ध मंदिर है इसी के पास ललितेश्वर महादेव का प्राचीन शिवालय भी है। शिवलिंग प्राचीन समय से लोगों की आस्था का केंद्र रहा है दर्शन, पूजन को वर्ष पर्यंत भक्त आते हैं। मान्‍यता है कि ललितेश्वर महादेव मां ललिता अलोपशंकरी के भैरव हैं, इन्हें भवभैरव नाम से भी जाना जाता है। यह भी माना जाता है कि ललितेश्वर महादेव प्रतिवर्ष तिल भर बढ़ते हैं। मां अलोपशंकरी के पास ललितेश्वर महादेव का प्राचीन शिवालय है। अलोपीबाग मोहल्ला में स्थित उक्त शिवलिंग सदियों से सनातन धर्मावलंबियों की आस्था व विश्वास के केंद्र हैं। इनके दर्शन, पूजन को हमेशा भीड़ जुटती है।धार्मिक मान्यता है कि ललितेश्वर महादेव सतयुग से यहां स्थित हैं। ये मां ललिता अलोपशंकरी के भैरव हैं। इन्हें भवभैरव नाम से भी जाना जाता है। ये भी माना जाता है कि ललितेश्वर महादेव प्रतिवर्ष तिलभर बढ़ते हैं। मौजूदा समय इनकी ऊंचाई चार फीट के लगभग है। मंदिर का प्रबंधन व संचालन श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा करता है। महानिर्वाणी अखाड़ा के महात्मा जनकल्याण के लिए प्रतिदिन ललितेश्वर महादेव की साधना करते हैं। मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए देशभर से भक्त उनके दरबार में मत्था टेकने आते हैं। श्रावण में प्रतिदिन शाम को विशेष श्रृंगार किया जाता है। महानिर्वाणी अखाड़ा व मंदिर के प्रबंधक श्रीमहंत यमुना पुरी कहते हैं कि मां भगवती के 52 शक्तिपीठ हैं। हर शक्तिपीठों की रक्षा भैरव करते हैं। ललितेश्वर महादेव मां अलोपशंकरी के भैरव हैं, जिनकी साधना कभी व्यर्थ नहीं जाती।


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