इस शक्स को कुदरत ने बहुत बड़ी दर्द दी है जिसे लाख भूलने की कोशिश भी....
मानसून की जोरदार दस्तक के साथ मुंबईवासियों की मुसीबत बढ़ने लगी है। बुधवार दिनभर हुई बारिश के बाद देर रात मलाड वेस्ट के मालवानी इलाके में एक चार मंजिला इमारत ढह गई। इसका मलबा पास के एक घर पर गिरा और कुल 11 लोगों की मौत। मरने वालों में 43 साल के मोहम्मद रफी के परिवार के 9 सदस्य शामिल थे। हादसे में घायल हुए 8 लोगों में तीन की हालत गंभीर बनी हुई है। रफी अब इस दुर्घटना के बाद अपनों की निशानियों को इस मलबे में तलाश रहे हैं।कुछ देर बाद लौटे तो इमारत जमींदोज हो चुकी थी। पहले तो उन्हें अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ, लेकिन किसी तरह हिम्मत जुटा कर धूल के गुबार के बीच मलबा हटाने का प्रयास शुरू कर दिया। हालांकि, उनका यह प्रयास नाकाफी रहा और सुबह होते-होते उनके परिवार के 9 लोगों के शव उनकी आंखों के सामने थे।रफी के परिवार के जिन 9 लोगों की मौत हुई उनमें उनकी पत्नी, भाई-भाभी और उनके 6 बच्चे थे। रफी का एक भतीजा तो सिर्फ डेढ़ साल का था। बदहवास हाल में वे पूरी रात वहीं बैठे रहे और अपनी आंखों के सामने अपनों के शवों को बाहर निकलते देखते रहे। उन्होंने बताया, 'हमें नहीं लगा था कि यह इमारत जर्जर हो चुकी है, नहीं तो हम इसे पहले ही छोड़ देते। रफी और उनके भाई पूरे परिवार के साथ इमारत के तीसरे फ्लोर पर छोटे-छोटे तीन कमरों में रहते थे।
रफी ने इस हादसे में अपने इन करीबियों को खोया
शफीक मोहम्मद सलीम सिद्दीकी (45)
तौसीफ शफीक सिद्दीकी (15)
अलीशा शफीक सिद्दीकी (10)
आलिफशा शफीक सिद्दीकी (1.5)
हसीना शफीक सिद्दीकी (6)
इशरत बानो रफी सिद्दीकी (40)
रहीशा बानो शफीक सिद्दीकी (40)
ताहिस शफीक सिद्दीकी (12)
जॉन इर्रानन्न (13)
दूध लेने बाहर गए, लौटे तो जमींदोज ही चुकी थी इमारत
रफी बताते हैं कि रात करीब 10 बजे वे दूध लेने के लिए बाहर गए थे। कुछ देर बाद लौटे तो इमारत जमींदोज हो चुकी थी। पहले तो उन्हें अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ, लेकिन किसी तरह हिम्मत जुटा कर धूल के गुबार के बीच मलबा हटाने का प्रयास शुरू कर दिया। हालांकि, उनका यह प्रयास नाकाफी रहा और सुबह होते-होते उनके परिवार के 9 लोगों के शव उनकी आंखों के सामने थे।रफी के परिवार के जिन 9 लोगों की मौत हुई उनमें उनकी पत्नी, भाई-भाभी और उनके 6 बच्चे थे। रफी का एक भतीजा तो सिर्फ डेढ़ साल का था। बदहवास हाल में वे पूरी रात वहीं बैठे रहे और अपनी आंखों के सामने अपनों के शवों को बाहर निकलते देखते रहे। उन्होंने बताया, 'हमें नहीं लगा था कि यह इमारत जर्जर हो चुकी है, नहीं तो हम इसे पहले ही छोड़ देते। रफी और उनके भाई पूरे परिवार के साथ इमारत के तीसरे फ्लोर पर छोटे-छोटे तीन कमरों में रहते थे।
रफी ने इस हादसे में अपने इन करीबियों को खोया
शफीक मोहम्मद सलीम सिद्दीकी (45)
तौसीफ शफीक सिद्दीकी (15)
अलीशा शफीक सिद्दीकी (10)
आलिफशा शफीक सिद्दीकी (1.5)
हसीना शफीक सिद्दीकी (6)
इशरत बानो रफी सिद्दीकी (40)
रहीशा बानो शफीक सिद्दीकी (40)
ताहिस शफीक सिद्दीकी (12)
जॉन इर्रानन्न (13)
दूध लेने बाहर गए, लौटे तो जमींदोज ही चुकी थी इमारत
रफी बताते हैं कि रात करीब 10 बजे वे दूध लेने के लिए बाहर गए थे। कुछ देर बाद लौटे तो इमारत जमींदोज हो चुकी थी। पहले तो उन्हें अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ, लेकिन किसी तरह हिम्मत जुटा कर धूल के गुबार के बीच मलबा हटाने का प्रयास शुरू कर दिया। हालांकि, उनका यह प्रयास नाकाफी रहा और सुबह होते-होते उनके परिवार के 9 लोगों के शव उनकी आंखों के सामने थे।
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