आंवला के चमत्कारी गुण, यौवन का राज
हेल्थ टिप्स -आंवला एक आर्युवेदिक रसायनिक गुणकारी औषधि है। आंवला को कई नाम से जाना जाता है । जैसे संस्कृत, आमल पंचरसा, शिवा धातकी, अमृता , व्यवस्था, इत्यादि नाम से जाने जाते हैं। आंवले के वृक्ष भारतवर्ष के जंगलों में कुदरती तौर से बहुत पैदा होते हैं प्रताप बाग बगीचा भी बो कर लगाए जाते हैं। इस प्रसिद्ध फल को भारत में सब लोग जानते हैं। आयुर्वेद के अंदर किसकी प्रभावशाली और रसायन औषधियों का उल्लेख हुआ है उनमें हरीतकी(हरड) और आंवला मेल दो औषधियां सर्वोत्कृष्ट मानी गई है। इनमें हरण उष्णवीर्य और आंवला शीत वीर्य है। इसलिए आंवला का महत्व और भी बढ़ जाता है। महर्षि चरक का कथन है की संसार के अंदर अवस्था स्थापक जितने द्रंव्य है। उनमें आंवला सबसे प्रधान है। आयुर्वेद के अंदर आंवला फल रक्तशोध, रुची कारक, होने से अतिसार प्रमेह,दाह,कमला, अम्लपित्त, विस्फोटक,पांडु, रक्तपित्त वात अर्श,वंन्यकोष्ट,अर्जिय, अरुचि,खांश, खासी, इत्यादि रोगों को ठीक करता है। दृष्टि को तेज करता है। वीर्य को दृढ़ करता है आयु की बृद्दि करता है।यह धर्म है। अगर मनुष्य के खून में एकत्रित हुए विजातीय को किसी उपाय से दूर करने में हो जाए तो सब व्याधियों और वृद्धावस्था पर विजय प्राप्त करने नव यौवन को प्राप्त कर सकता है इन विजातीय तत्वो को दूर करने के लिए रसायन शास्त्रियों ने वर्षों का ढूंढ खोज के पश्चात तीन चीजों काआविष्कार किया है। यह गुण सफरजन और औलिव के फल और आंवला इन तीन वस्तुवों ही पाय जाते हैं।सफरजन,और ओलिव ,ये दो वस्तु भारत वर्ष में नहीं पाई जाती,ऐसी स्थिति में हमारे महर्षियों के द्वारा ओके जा आंवले के अंदर इन गुणों की घोषणा करना बिल्कुल विज्ञान संगत है। इसकी उत्पत्ति के संबंध में पुराणों के अंदर एक बड़ी सुंदर अध्यात्मिक है। इस प्रकार है। भगवती पार्वती और लक्ष्मी प्रभात तीर्थ हो गई थीं। पार्वती ने लक्ष्मी से कहा कि देवी आज हम स्वकल्पित किसी नूतन दव्य से हरि का पूजन करना चाहती हैं लक्ष्मी ने कहा कि हम भी किसी नूतन द्रव्य से शिव का पूजन करना चाहती हैं। उसमें दोनों के आंखों से भूमि पर आनंदाश्रु गिरे, और उन्ही आंसुओं से माघ शुक्ल एकादशी के दिन आम वकी वृक्ष की उत्पत्ति हुई , जिसको देखकर देवता और ऋषि आनंद से प्रफुल्लित हो उठे इसी से इस औषधि का शिवा व्यवस्था धात्रीअत्तित माता के समान रक्षा करने वाकी आदि पवित्र नामो से सम्बोधित किया है।
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