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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बार फिर पेट्रोल-डीजल की महंगाई के लिए UPA सरकार को बताया जिम्मेदार
मनमोहन सिंह द्वारा जारी 1.44 लाख करोड़ रुपये के ऑयल बांड का कर्ज चुका रही मोदी सरकार, इसलिए नहीं घट रहे पेट्रोल-डीजल के दाम - वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
निर्मला सीतारमण ने क्या बताया
- मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते 1.44 करोड़ रुपये के ऑयल बांड जारी किया था।
- मोदी सरकार इस आयल बांड का कर्ज चुका रही है। इसलिए पेट्रोल डीजल के दाम घटने की संभावना नहीं है।
- 31 मार्च 2021 तक सरकार पर 1.31 लाख करोड़ रुपये की देनदारी थी। 2026 तक 37340 करोड़ रुपये सिर्फ व्याज के रुप में देना है।
- पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने ऑयल बांड पर 70196 करोड़ रुपये ब्याज अदा किया है।
वित्त मंत्री ने यह भी बताया
- वर्ष 2005 से 2009 के बीच मनमोहन सिंह की सरकार ने ऑयल बांड जारी कर फंड जुटाए।
- इसी कारण मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़े।
- ऑयल बांड जारी कर मनमोहन सिंह की सरकार ने ऑयल कंपनियों से कर्ज लिया। सरकार इसी कर्ज को पटाने में लगी है।
आधे दाम से अधिक लिया जा रहा टैक्स
- पेट्रोल की मूल कीमत देश में 41 रुपये और डीजल की 42 रुपये है।
- लेकिन टैक्स लगाये जाने के कारण इसकी कीमत देश के कई हिस्सों में 110 रुपए से अधिक हो गयी है।
- अकेले केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोल पर 33 रुपये और डीजल पर 32 रुपये एक्साइज ड्यटी ली जा रही है।
- राज्य की सरकारें भी अपने स्तर पर वैट और सेस वसूल रही हैं।
- इस तरह देश में पेट्रोल पर 56 रुपये और डीजल पर 45 रुपये से भी अधिक का टैक्स लिया जा रहा है।
जानें ऑयल बॉन्ड के बार में
- ऑयल बांड का आशय है कि नकद भुगतान न करके यह कमिटमेंट करना कि भविष्य में ब्याज सहित संपूर्ण राशि दी जाएगी।
- मनमोहन सरकार ने यह ऑयल बांड एक निर्धारित समय के लिए जारी किया था।
- 2008 में वैश्विक मंदी आयी तो तेल कंपनियों ने ऑयल बॉन्ड की जगह नकद भुगतान मांगना शुरू किया।
- तेल कंपनियों ने वर्ष 2010 में ऑयल बॉन्ड पर पेट्रोल-डीजल देना बंद कर दिया।
- ऑयल बांड की अवधि अलग-अलग समय पर 2022 से 2026 के बीच पूरी हो रही है।
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