भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रमुख माधवी पुरी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग मामले में कांग्रेस की बड़ी मांग, माधवी बुच दें इस्तीफा
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रमुख माधवी पुरी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को लेकर सोमवार (12 अगस्त) को कांग्रेस ने इस्तीफे की मांग की है। इसके साथ ही कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि वह इस मामले की जांच केंद्रीय अन्यवेषण ब्यूरो (सीबीआई) या विशेष जांच दल (special investigation team) को सौंपे। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने अदाणी मामले में SEBI के समझौता करने की आशंका जताई और फिर से यह मांग दोहराई कि एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन होना चाहिए ताकि वह ‘‘मोदानी महा घोटाले’’ की पूरी जांच कर सके क्योंकि यह मामला एक ‘‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री’’ और एक ‘नॉन-बायोलॉजिकल कारोबारी’ से जुड़ा हुआ है।
हिंडनबर्ग मामले में कांग्रेस की मांग
दरअसल, इस मामले में पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अपनी पहली टिप्पणी में रविवार को कहा था कि उसने अदाणी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की विधिवत जांच की है। आपको बता दें कि जयराम रमेश ने सोमवार (12 अगस्त) को एक बयान में कहा कि सेबी ने अति सक्रियता दिखाने कोशिश की है और उसका कहना है कि उसने 100 सम्मन, 1,100 पत्र और Email जारी किए हैं और 12,000 पृष्ठों वाले 300 दस्तावेजों की जांच की है।
इसके अलावा कांग्रेस नेता ने दावा किया कि यह मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने वाली बात है क्योंकि कार्रवाई महत्वपूर्ण है, गतिविधियां नहीं। उनके मुताबिक, ‘‘14 फरवरी, 2023 को, मैंने सेबी अध्यक्ष को पत्र लिखकर सेबी से उन करोड़ों भारतीय नागरिकों की ओर से भारत के वित्तीय बाजारों के प्रबंधक के रूप में अपनी भूमिका निभाने का आग्रह किया था, जिनका भारत के वित्तीय बाजारों की निष्पक्षता में विश्वास है। मुझे कभी कोई जवाब नहीं मिला।’’
उन्होंने बताया कि तीन मार्च, 2023 को उच्चतम न्यायालय ने सेबी को दो महीने के भीतर अदाणी समूह के खिलाफ स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी के आरोपों की ‘‘तेजी से जांच पूरी करने’’ का निर्देश दिया था। इसे लेकर जयराम रमेश का कहना था कि इस आदेश के 18 महीने बाद सेबी ने खुलासा किया है कि अडानी ने न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता से संबंधित नियम 19A का उल्लंघन किया है या नहीं, इस संबंध में महत्वपूर्ण जांच अधूरी है।
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