सीएम योगी राज में DGP की कुर्सी पर सबसे ज्यादा बदलाव, अब तक कुल इतने ऑफिसर संभाल चुके कमान
लखनऊ।उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस और भी शक्तिशाली हुई, प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के लिए सीएम योगी की जोर और पुलिस कार्य शैली में बदलाव जरूरी रहा । इसके लिए शीर्ष स्तर पर बदलाव का शिलसिला जारी रहा।
यूपी पुलिस विभाग की सर्वोच्च कुर्सी, यानी पुलिस महानिदेशक (DGP) का पद बीते कुछ वर्षों में लगातार बदलाव का गवाह रहा है। खासतौर से योगी आदित्यनाथ सरकार के दोनों कार्यकालों में डीजीपी की कुर्सी पर तेजी से फेरबदल देखने को मिले हैं।
अब तक कुल आठ आईपीएस अधिकारी डीजीपी पद की जिम्मेदारी निभा चुके हैं—
जिनमें से कई को स्थायी तौर पर नियुक्त किया गया, तो कईयों ने कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर कमान संभाली।
दो कार्यकालों में बदले गए इतने अफसर
योगी सरकार के पहले कार्यकाल में सुलखान सिंह ने वर्ष 2017 में बतौर डीजीपी कार्यभार संभाला था। उन्हें सेवा निवृत्ति से पहले एक बार सेवा विस्तार भी मिला। इसके बाद ओम प्रकाश सिंह (ओपी सिंह) को प्रदेश का नया डीजीपी बनाया गया, जिन्होंने लंबे समय तक कानून-व्यवस्था को संभाला। ओपी सिंह के बाद एचसी अवस्थी ने भी कुछ समय तक इस पद की जिम्मेदारी निभाई।
इसके पश्चात आए मुकुल गोयल, जिन्हें योगी सरकार ने ‘ड्यूटी में रुचि न लेने’ के आरोप में कार्यमुक्त कर दिया था। इसके बाद डीजीपी की कुर्सी कार्यवाहक अधिकारियों के हवाले होती रही। इस दौरान डीएस चौहान, आरके विश्वकर्मा, विजय कुमार और अब प्रशांत कुमार को कार्यवाहक डीजीपी के रूप में उत्तर प्रदेश पुलिस की कमान सौंपी गई।
प्रशांत कुमार का नाम कानून-व्यवस्था में सख्ती और ईमानदारी से ड्यूटी निभाने के लिए जाना जाता है। उन्हें मुठभेड़ों के सुपरवाइज़र के रूप में भी काफी ख्याति मिली है। फिलहाल वे डीजीपी के तौर पर यूपी पुलिस की अगुवाई कर रहे हैं, लेकिन अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या उन्हें स्थायी डीजीपी के रूप में नियुक्त किया जाएगा या फिर किसी और वरिष्ठ आईपीएस को यह जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
कई दावेदार तैयार
सूत्रों की मानें तो कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डीजीपी की दौड़ में शामिल हैं, लेकिन प्रशांत कुमार की कार्यशैली और जनता में उनकी सख्त छवि उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है। सरकार के स्तर पर मंथन जारी है और जल्द ही इस पर कोई ठोस फैसला लिए जाने की संभावना है।
अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या यूपी को नया डीजीपी मिलेगा या प्रशांत कुमार को ही सेवा विस्तार देकर इस कुर्सी पर बरकरार रखा जाएगा।
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