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देश को मिला‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की मंजूरी

 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से किया एक और वादा पूरा कर दिया है। मोदी कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। तो इसके तहत लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। सरकार संसद के शीतकालीन सत्र यानी नवंबर-दिसंबर में इस बारे में बिल पेश करेगी। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली कमेटी ने इस पर मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पहले कदम में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव को एक साथ कराना चाहिए। कमेटी ने सिफारिश की थी कि लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव हो जाने चाहिए।  

क्या है 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का कॉन्सेप्ट?
वन नेशन-वन इलेक्शन का मतलब है कि भारत में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं। साथ ही स्थानीय निकायों के चुनाव भी एक ही दिन या एक तय समय सीमा में कराए जाएं। पीएम मोदी लंबे समय से वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत करते आए हैं। उन्होंने कहा था कि चुनाव सिर्फ तीन या चार महीने के लिए होने चाहिए, पूरे 5 साल राजनीति नहीं होनी चाहिए। साथ ही चुनावों में खर्च कम हो और प्रशासनिक मशीनरी पर बोझ न बढ़े।

एक बार फिर बतादे कि,केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ (One Nation One Election) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय कैबिनेट ने रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट को मंजूरी दी है। बताया जा रहा है कि रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लेकर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को पहले ही सौंप दी थी। इसमें सुझाव दिए गए हैं कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने चाहिए। इसके अलावा समिति ने सिफारिश की है कि निकाय चुनाव को भी लोकसभा और राज्य विधानसभा के संपन्न होने के बाद जल्द ही कराया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान पहले ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ नीति को लागू करने की तैयारी कर रही है। ऐसी चर्चा है कि केंद्र सरकार इससे जुड़ा बिल जल्द ला सकती है। उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर एक कमेटी बनाई थी, इस कमेटी का अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया था।

इसके अलावा इस कमेटी में कई और सदस्यों को भी शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का जिक्र किया था। पीएम मोदी ने कहा था वन नेशन वन इलेक्शन के लिए देश को आगे आना होगा। बार-बार आने वाले चुनाव इस देश की प्रगति में रुकावट उत्पन्न करते हैं। आज किसी भी योजना को चुनाव के साथ जोड़ना आसान हो गया है, क्योंकि हर तीन या छह महीने बाद चुनाव होते हैं। हर काम को चुनाव के रंग से रंग दिया गया है। इसलिए देश ने व्यापक चर्चा की है। उन्होंने आगे कहा था सभी राजनीतिक दलों ने अपने विचार रखे हैं। मैं लाल किले से तिरंगे को साक्षी रखते हुए देश के राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं। संविधान को समझने वाले लोगों से आग्रह करता हूं कि भारत की तरक्की के लिए, भारत के संसाधनों का सर्वाधिक उपयोग जन सामान्य के लिए हो सके, इसके लिए ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ (One Nation One Election) के लिए हमें आगे आना चाहिए।
आजादी के बाद एक साथ हो चुके हैं चुनाव
भारत के लिए यह कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है देश में आजादी के बाद से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए गए थे। 1952, 1957, 1962 और 1967 में दोनों चुनाव एक साथ हुए थे, लेकिन राज्यों के पुनर्गठन और अन्य कारणों से चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे।


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