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वन नेशन, वन हेल्थ सिस्टम समय की मांग: डॉ. डी.डी. सिंह


आज़मगढ़ : आज का समय आयुर्वेद एलोपैथ में विवाद का नहीं है बल्कि हमें वन नेशन - वन हेल्थ सिस्टम के बारे में सोचना होगा। जिसके तहत मेडिकल प्रैक्टिस शिक्षा और अनुसंधान में एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथ जैसे आधुनिक और पारंपरिक पद्धतियों का एक साथ विलय हो जाय, जिससे मरीजों को बेहतरीन उपचार मिल सके। आधुनिक चिकित्सा और आयुर्वेद के इस मेल को भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के लिए क्रांतिकारी माना जा रहा है। इससे एलोपैथी के साइड इफेक्ट्स भी कम हो जाएंगे और मरीजों की बीमारियों से लड़ने की इम्युनिटी भी बढ़ेगी। उक्त बातें
नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) के अध्यक्ष डॉ. डी.डी. सिंह ने कही। साथ ही यह भी कहा कि इससे इलाज भी सस्ता होगा।एकीकृत स्वास्थ्य प्रणाली जिसके तहत मरीजों को किसी भी चिकित्सा पद्धति से इलाज मिल सकेगा। चिकित्सा पद्धति चुनना मरीजों की बीमारी और उपचार के विभिन्न तरीकों को एक साथ जोड़ने की जरूरत है। जिसका मतलब है कि जब तक मरीज को इलाज में फायदा मिल रहा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि यह एलोपैथी, होम्योपैथी है या आयुर्वेदिक है। यदि कोई मरीज किसी अस्पताल में पहुंचता है और उसकी हालत गंभीर है तो उसे एलोपैथिक इलाज दिया जा सकता है। लेकिन उसकी स्थिति के अनुकूल होने पर आयुर्वेदिक, यूनानी या होम्योपैथिक इलाज भी उसी अस्पताल में किया जा सकता है।


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