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समाजसेवी ब्रह्मलीन कर्मयोगी पं रामकिशोर त्रिपाठी की जयंती आज, महाविद्यालय परिवार ने अर्पित किया श्रद्धा सुमन: सुल्तानपुर


सुल्तानपुर ।समाज सेवा के प्रतिमूर्ति ब्रह्मलीन कमयोगी प. रामकिशोर त्रिपाठी जी का जन्म 05 अप्रैल 1924 तदनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष राम नवमी तिथि संवत 1981 दिन शनिवार को ठठेरी बाजार, सुल्तानपुर में हुआ था | देवव्रत त्रिपाठी जी आपके पिता एवं श्रीमती अभिराजी देवी आपकी माता जी थी । विसंगतियो, अभावो एवं विपरीत परिस्थितियों के कारण मात्र मिडिल तक ही शिक्षा ग्रहण कर सके। पंडित जी का विवाह श्रीमती संवारी देवी के साथ हुआ। आपकी एकमात्र संतान पुत्री श्रीमती हीरारानी उर्फ़ कमला दुबे है। उनका यशः शरीर पूरे पूर्वांचल के 60 वर्षो का सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनैतिक गतिविधि को अपने जीवन मे समेटे हुए है। यज्ञ, संस्कार तथा मानवीय मूल्यों की रक्षा हेतु विनोवा भावे, आचार्य कृपलानी ,डॉ. सम्पूर्णानन्द, प. कृष्णदत्त पालीवाल, रफीक अहमद किदवई व बाबू गनपत सहाय जैसी विभूतियों के साथ मिलकर अपना पूरा जीवन समाज सेवा वैदिक धर्म प्रचार तथा शिक्षा के प्रसार मे समर्पित कर दिया | पण्डित जी अपनी कर्तव्यपरायणता से समाज के अंतिम पक्ति के व्यक्ति को अमृत रूपीज्ञान की शिक्षा देने हेतु जनपद सुलतानपुर के विभिन्न प्रक्षेत्रों मे लगभग 02 दर्जन शिक्षण संस्थानों की स्थापना की, जिसमे संत तुलसी दास स्नातकोत्तर महाविद्यालय बरवारीपुर कादीपुर, महात्मा गाँघी स्मारक स्नातकोत्तर महाविद्यालय कूरेभार, आचार्य विनोवा भावे महाविद्यालय, छीड़ा प्रमुख है | गनपत सहाय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सुल्तानपुर की स्थापना के मुख्य सूत्राधर आदरणीय पण्डित जी ही थे। विभिन्न विपरीत परिस्थियों का सामना करते हुए उनकी जीवनयात्रा लोकमंगल के कर्मपथ से गुजरती हुई मानवता के समग्र विकास की यात्रा कही जा सकती है । मनुष्य की चेतना को परिष्कृत करने वाली शिक्षा को उन्होने सर्वसुलभ बनाने की दिशा मे प्रशंसनीय उपक्रम किये और पूर्वांचल के मालवीय कहलाए | दीन-दुखिया की सेवा, निःस्वार्थ, कर्मशीलता, परोपकार एवं नैतिक मूल्यों की रक्षा प्रति समर्पण के कारण ही तत्कालीन महामहिम राज्यपाल श्री विष्णुकांत शास्त्री जी द्धारा आपको कर्मयोगी की उपाधि प्रदान की गई | विराट व्यक्तित्व के धनी, ओजस्वी वक्ता आदरणीय पंण्डित जी आर्य ग्रंथो एवं भारतीय मूल्यों के सांस्कृतिक जागरण के लिए वैदिक मार्ग पर चलते हुए एवं आश्रम पद्धति का जीवन जीते हुए वेद व यज्ञ के प्रति राष्ट्रीय जागरण का सन्देश देते हुए दिनांक 16 फरवरी 2011 को पंचतत्व में विलीन होकर मोक्ष को प्राप्त हुए |

सदा निर्बलों के सहायक,समर्थ होकर भी असमर्थ को गले लगाने का करुणा भाव एवं अतिथि सत्कारी सोपान की विलक्षण प्रतिभा की आज पवित्र जयंती के सुअवसर पर हार्दिक सहृदयता के सम्मान में प्रबन्धक सौरभ त्रिपाठी द्वारा वैदिक रीति रिवाज के अनुरूप हवन पूजन कर पंडित जी के प्रति आविर्भूत कृतज्ञता ज्ञापित की गयी। प्रबन्ध समिति अध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय बजरंगी, प्राचार्य डॉ जितेन्द्र कुमार तिवारी, डॉ इन्दुशेखर उपाध्याय, डॉ संजीव रतनगुप्ता ,डॉ जितेन्द्र कुमार उपाध्याय ,डॉ सुरेन्द्र प्रताप तिवारी, दीपक तिवारी एवं संजय मिश्रा सहित संत तुलसीदास पीजी कॉलेज कादीपुर सुल्तानपुर महाविद्यालय परिवार द्वारा अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया।


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