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ना बीमारी रुकेगी, ना बर्बादी, और नाही मौत, आज के इस पोस्ट को पढ़कर मंथन करिये वैसे ही आइये देखते हैं कि ....

आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसी सच्चाई के बारे में, बताने जा रहे हैं जिस पर मंथन करने की जरूरत है तो आइये, आज.... वायरस भला अंधेर नगरी, चौपट राजा की भीड़ का मौका क्यों चूके? इस पृथ्वी के साढे सात अरब लोगों में भारत वायरस के लिए दुनिया का नंबर एक चारागाह इसलिए है क्योंकि राजा जहां दिन-प्रतिदिन रैलियां करके वायरस को मौका देता है तो धर्म-समाज दीया-ताली-थाली, कुंभ स्नान से वायरस को भगा देने के मुगालते में जीता है। सोचे मार्च 2020 से ले कर सन् 2021 के वर्तमान वक्त के सवा साल में जो हुआ है क्या वैसा कहीं दूसरे देश में हुआ है? भारत सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर जिले के सीएमओ सबने झूठ और झूठ में लोगों को गुमराह किया। इतनी तरह के विविध झूठ, इतनी तरह की विविध मूर्खताएं हुई कि साल बाद भी अंधेर नगरी में वायरस के टेस्ट की सच्ची व्यवस्था नहीं है।तभी मैंने लगातार लिखा हैं कि झूठ भारत को इतना बरबाद करेगा, उससे इतने लोग मरेंगे, भारत ऐसा बीमारू देश बनेगा कि पीढ़िया याद करेंगी सन् बीस के मोदी राज को! सवाल है अंधेर नगरी के मूर्ख नगरवासी सोचने, याद रखने का दिमाग क्या लिए होते है? क्या सूरत, अहमदाबाद, भावनगर, राजकोट में श्मशान, दवा दुकान, अस्पताल और अस्थिक्लश को खोजते हिंदू यह सोच सकते है कि यह सब उनके प्रतापी राजा नरेंद्र मोदी की रीति-नीति की बदौलत है या वे अपनी किस्मत, अपनी नियति को रोते हुए होंगे? गुजरात नरेंद्र मोदी-अमित शाह की हिंदू प्रयोगशाला है। विकास का हिंदू मॉडल है और कल्पना कीजिए सूरत के श्मशान में चित्ता की जगह का इंतजार करते उन हिंदू चेहरों की जो संक्रमित शव के नंबर आने के इंतजार में बैठे हुए लाचारी में भन्नाते होंगे कि करे तो क्या करें।
वायरस का सामना करना एक बात है लेकिन अंधेर नगरी में वायरस के आगे लाचारी, बेबसी, सूखे आंसूओं की त्रासदी वह हकीकत है जिसमें महिनों नहीं बल्कि सालों-साल भारत के लोगों को जूझते रहना होगा। जबकि नरेंद्र मोदी का पहले दिन से आव्हान था उन्होने लॉकडाउन लगा दिया तो 21 दिनों में भारत कोरोना पर विजयी। तमाम तरह की फालतू बातें कि भारत ने दुनिया को दवाई दी, वैक्सीन दी, मेडिकल साजो सामान दिया। गर्व करों हिंदूओं हम हुए विश्व गुरू। दुनिया बरबाद लेकिन भारत बढेगा 12 प्रतिशत की विकास रेट से। देखों मूडी ने क्या कहां! चमत्कार हमनें पीपीई किट्स बनाए, उन्हे निर्यात कर रहे है, वैंटिलेटर्स बना डाले, हमने वह सब कर दिखाया जो अमेरिका, योरोपीय देश नहीं कर सकें। वे मर रहे है और हम दौडते हुए है। हम महान और वे हमारे
मोहताज! बोलो नरेंद्र मोदी की जय!क्या मैं गलत लिख रहा हूं? तभी क्या तो भारत राष्ट्र-राज्य का प्रबंधन, कैसा हिंदू प्रजा का व्यवहार और कैसे हिंदू राजाधिराज नरेंद्र मोदी की कर्म गति! दुनिया में कौन सी दूसरी नस्ल, दूसरे देश और वे नेता है जिन्होने महामारी काल में भी वह किया जिससे राष्ट्र-राज्य बीमार, बरबाद और मौत की अंधेर नगरी बन जाए। दुनिया में ऐसा कहां दिखा जो संक्रमित लाशों के साथ श्मशानों में लोग घंटों से चित्ता की जगह की इंतजारी में बैठे हुए? ऐसा कहां देखा है कि महामारी की आबो हवा में भी लाखों लोग एकसाथ स्नान करते हुए? कहां ऐसा देखा है कि देश का प्रधानमंत्री, गृह मंत्री संक्रमण काल में यह कहते हुए वाहवाही बनाए कि देखों मेरी सभा में लोग ही लोग! दुनिया ने अमेरिका के नेताओं को वर्चुअल सभाएं करते देखा है। कल ही मक्का-मदीना की फुटैज से दुनिया ने जाना कि इस दफा टेस्ट से जांच के बाद गिने-चुने लोग ही मक्का में परिक्रमा दे सकेंगे।हिसाब से इन बातों का मतलब नहीं है। अंधेर नगरी, चौपट राजा की बनारस की कहानी में न राजा सुध में था और न जनता। हां, दुVनिया जरूर 21वीं सदी में यह जानेगी कि कोविड़-19 की महामारी में भारत वह देश था जिसमें वायरस ने हर तरह की बरबादी मचाई। तभी दुनिया अब देखते हुए है भारत को सचेत होने की सलाह दी है।।


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