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हम जितना संघर्षशील होंगे आत्महत्या हमसे उतनी ही दूर होगी '- प्रोफेसर एम पी सिंह

सुलतानपुर। ' अपनी सामर्थ्य पहचान कर आत्मविश्वास बनाए रखें , काम के प्रति पूर्ण समर्पित रहें  सकारात्मक सोचें , परिवार व समाज से जुड़े तथा स्वयं के लिए समय निकालें तो आत्महत्या से बचा जा सकता है। कभी भी अति की ओर न बढ़ें क्योंकि यह आत्महत्या का सहायक है। हम जितना संघर्षशील होंगे आत्महत्या हमसे उतनी ही दूर होगी ।'
यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य व समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एम पी सिंह ने कहीं। 
वह महाविद्यालय के संगोष्ठी कक्ष में समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित बाबू धनंजय सिंह स्मृति आंतरिक व्याख्यान माला में बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे।
'आत्महत्या कारण एवं निवारण' विषय पर अपने विचार रखते हुए प्रोफेसर एम पी सिंह ने कहा कि विद्यार्थी अपनी असफलताओं से घबरायें नहीं दुनिया के तमाम रास्ते उनके लिए खुले हैं। कभी कभी हम जीवन के उद्देश्य को भूलकर छोटी समस्याओं को बड़ा समझ लेते हैं जो हमको नकारात्मकता की ओर ढकेलती है। कार्यस्थल का वातावरण अच्छा रहे यह प्रशासक की जिम्मेदारी है। जहां ऐसा नहीं है वहां के कर्मचारी काम के दबाव में आत्महत्या के लिए प्रेरित होते हैं। वर्तमान समय में आदमी आदमी न रहकर मशीन बन गया है । हम अपनी संतानों को भी मशीन बनाते जा रहे हैं। यह प्रवृत्ति घातक है।
  अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता व समाजशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.एम.पी.सिंह ने कहा कि यदि अपने से छोटे समूह से अपनी तुलना करते रहें तो स्वस्थ और सकारात्मक रहेंगे।
संचालन व आभार ज्ञापन असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.बृजेश कुमार सिंह ने किया। 
इस अवसर पर प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी, उप प्राचार्य प्रोफेसर निशा सिंह,आईक्युएसी निदेशक इन्द्रमणि कुमार समेत समस्त शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।


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