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मान्यवर कांशीराम की जयंती 2021पर बीएचयू के बहुजन छात्रों ने प्रकाश डाला : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय


वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग स्थिति H. N. त्रिपाठी सभागार में आज 15 मार्च को मान्यवर कांशीराम साहब के 87वें जयंती के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम अपने निर्धारित समय पर शुरू हुआ। कार्यक्रम का संचालन कर रहे बीएचयू बहुजन इकाई के सदस्य रेखा विजेयता और विवेकानंद ने सबसे पहले कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफे लालचंद प्रसाद,मुख्य वक्ता प्रोफेसर महेश प्रसाद अहिरवार, अध्यक्षता डॉ मुकेश मालवीय,वक्ता प्रोफे बृजेश अस्थवाल व डॉ स्वर्ण सुमन जी को मंच पर आमंत्रित करते हुए बहुजन महानायिकाओं व नायकों के चित्रों पर पुष्पांजलि हेतु निवेदित किया।
    इसके बाद शोध छात्रा सारिका गौतम व अन्य साथियों ने बुद्ध वंदना के साथ कार्यक्रम की औपचारिक शुरुवात की।
    सभी अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन शोध छात्रा चांदनी मौर्य ने किया।
        छात्र संबोधन में सबसे पहले हिंदी विभाग के छात्र रामधीरज ने मान्यवर कांशीराम साहब का संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत किया इसके बाद मनोविज्ञान विभाग की छात्रा आरती ने अपने संबोधन में बहुजन समाज को मान्यवर कांशीराम साहब द्वारा दिए गए संदेशों का जिक्र किया।
          शोध छात्रा पिंकी गुप्ता ने अपने संबोधन में मान्यवर साहब द्वारा चलाए गए आंदोलनों पर प्रमुखता से प्रकाश डाला।
            BHU BAHUJAN ईकाई के पूर्व अध्यक्ष रवींद्र प्रकाश भारतीय ने अपने संबोधन में मान्यवर साहब को याद करते हुए BHU के बहुजन आंदोलन की भूमिका पर बात रखते हुए कहा कि," सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति का कारवां सर्वजन के उत्थान व बहुजन समाज की भागीदारी का कारवां है जिसमें हमे मांगने वाला नहीं देने वाला समाज बनाना है। ये कार्य बिना अपने जीवट पुरखो के संघर्ष व समर्पण के प्रति सम्मान व भरोसा रखें हुए नहीं हो सकता। यह बात हमेशा स्पष्ट होनी चाहिए कि आंदोलन के हर कालखंड में उनके विरोधी आपस के कुछ लोग हमेशा खड़े किए गए है लेकिन हमारे पुरखो ने अपने जन जागृति के कारवां और पूरे धैर्य से उन्हें मात दी है। अब आपकी बारी है.... आपकी जीत इस कारवां को आगे बढ़ाने में है, मजबूत करने में है।"
              कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर महेश प्रसाद अहिरवार ने अपने संबोधन में कहा कि"मान्यवर कांशीराम साहब ने इस देश में वंचितों, शोषितों, अकलियतों व गरीबों को भारत की राजनीति में हिस्सेदारी दिलाकर भारतीय लोकतंत्र को टूटने से बचा लिया। मान्यवर कांशीराम साहब का नारा था जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी।आज बहुजन समाज के लिए जितनी चुनौतियां है उतने ही अवसर है अतः इस देश के बहुजन युवाओं को बहुजन मिशन, बहुजन समाज पार्टी में हिस्सेदारी करते हुए इस देश में बहुजन समाज के समतावादी सत्ता की स्थापना करना चाहिए।"
            मास कम्युनिकेशन के प्रोफेसर डॉ स्वर्ण सुमन ने मनुवादी मीडिया के प्रभावों का अपने संबोधन में जिक्र किया साथ ही मान्यवर कांशीराम साहब के द्वारा स्थापित किए गए समाचार पत्रों व मीडिया संस्थानों का जिक्र किया।
          कार्यक्रम के मुख्य अतिथि BHU BAHUJAN इकाई के संरक्षक प्रोफ़े लालचंद प्रसाद जी ने अपने संबोधन में कहा कि,"BHU के अलावा कितने विश्वविधालय होंगे जहां मान्यवर साहब के दिखाए गए रास्तों और शिक्षाओं का का सबलता से प्रचार प्रसार हो रहा है, BHU का योगदान इस मामले में उल्लेखनीय और अनुकरणीय है। BHU BAHUJAN इकाई पीढ़ी दर पीढ़ी,वर्ष दर वर्ष आंदोलन के नए सिपाहियो का सतत निर्माण कर रही है।"
            बतौर वक्ता अपनी बात रखते हुए आईएमएस BHU के प्रोफेसर बृजेश अस्थवाल ने मान्यवर साहब द्वारा चलाए गए आर्थिक मुक्ति के आंदोलन पर प्रमुखता से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मान्यवर साहब को केवल राजनैतिक आंदोलन और सत्ता के पर्याय के रूप में याद करना उन्हे सीमित करना है इसलिए हमें उनके द्वारा स्थापित विविध संस्थानों व प्रक्रिया को एक साथ रखते हुए उनका आंकलन करना चाहिए।
              BHU के विधि संकाय के डॉ मुकेश मालवीय ने कार्यक्रम का अध्यक्षीय उद्बोधन किया।जिसमे उन्होंने पूरे कार्यक्रम को समेकित करते हुए मान्यवर साहब द्वारा दिए गए नारों का जिक्र किया। जय भीम के उद्घोष से अपनी बात समाप्त की।
            धन्यवाद ज्ञापन और समापन शारीरिक शिक्षा विभाग की छात्रा अनामिका ने किया।
        कार्यक्रम का आयोजन BHU BAHUJAN इकाई (एससी,एसटी छात्र कार्यक्रम आयोजन समिति BHU व ओबीसी,एससी,एसटी,एमटी संघर्ष समिति BHU) के द्वारा किया गया जिसमे सूर्यमणि गौतम, महेश कुमार, प्रियंका गौतम,पूजा शाह,अजीत कुमार, अनीता, चंद्रभान,राघव साहनी,परमदीप पटेल, केतन, रविशंकर पटेल, भारत यादव, रंजीत भारती, अजय भारती, काजल निगम, गुरु प्रसाद,चंदन,अखिलेश वर्मा, दीपक आदि साथियों का सहयोग विशेष रहा।


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