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Supreme Court On Abortion का बड़ा फैसला, विवाहिता और अविवाहिता दोनो ही करा सकेंगे गर्भपात

Supreme Court On Abortion: गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया जो महिलाओं के अधिकारों के पक्ष में है. २९ सितम्बर को SC ने कहा कि सभी महिलाओं को सुरक्षित और कानून गर्भपात कराने का अधिकार है. इससे फर्क नहीं पड़ता कि महिला शादीशुदा है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 14 का हवाला देते हुए कहा कि अनमैरिड महिलाओं को अबॉरशन कराने के नियमों से बाहर रखना संवैधानिक नहीं है।

SC Verdict On Abortion: SC ने कहा कि मैरिटल रेप भी रेप है. MTP के उदेश्यों के मद्देनजर ऐसा किया जाना जरूरी है. पति द्वारा पत्नी के साथ जबरजस्ती सम्बन्ध बनाने के बाद जब महिला प्रग्नेंट होती है और उसे अबॉर्शन करना है तो उसके पास ऐसा करने का अधिकार होना चाहिए।

गर्भपात को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दरअसल पिछले साल 25 साल की युवती ने दिल्ली HC म याचिका लगाई थी. उसने मांग की थी कि उसे 23 हफ्ते 5 दिन की प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने के लिए इजाजत दी जाए. महिला अविवाहित थी. जो लिव इन में रहते हुए प्रग्नेंट हुई थी. बाद में उसके पार्टनर से शादी से इनकार कर दिया था. याचिका में युवती के कहा था कि वो अविवाहित है इसी लिए बच्चे को जन्म नहीं दे सकती।

दिल्ली HC ने TP Act (Medical Termination of Pregnancy - चिकित्सकीय गर्भपात) के नियमों का हवाला देते हुए उसे अबॉर्शन करवाने से मना कर दिया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे राहत देते हुए एम्स के डॉक्टर्स से सुरक्षित गर्भपात करने का आदेश दिया था।

इसी मामले पर कोर्ट ने आदेश देते हुए गुरुवार 29 सितम्बर को कहा कि ''सभी महिलाओं को लीगल अबॉर्शन करने का अधिकार है'' "आधुनिक समय में भी ये नियम इस विचार का समर्थन करता दिखता है कि व्यक्तिगत अधिकारियों के लिए शादी की शर्त पूरी करना जरूरी है. जबकि समाज की हकीकत बताती है कि अब गैर-पारंपरिक पारिवारिक संरचनाओं को भी मान्यता देने की जरूरत है." "MTP को आज की वास्तविकताओं को स्वीकार करना होगा. उन्हें पुराने नियमों से नहीं रोका जाना चाहिए."।

 


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