आखिर एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जाना क्यों पसंद करते हैं भारतीय छात्र आइये आज इस....
भारत के हजारों छात्र हर साल मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जाते हैं। इसका एक बड़ा कारण छात्रों को यूक्रेन में मिलने वाली सुविधाएं और सस्ती मेडिकल पढ़ाई और विश्व भर में यूक्रेन के विश्वविद्यालयों को दी जाने वाली मान्यता है। भारत के मुकाबले यूक्रेन के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के अति महत्वपूर्ण पढ़ाई का खर्च आधा है। इसके साथ ही यूक्रेन में एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले की प्रक्रिया भी भारत के मुकाबले काफी सरल है। भारत से हज़ारों छात्र हर साल मेडिकल की पढाई करने के लिए यूक्रेन, अमेरिका, कनाडा जाते हैं इनमे ज्यादातर यूक्रेन जाते हैं, लेकिन ऐसा वहां क्या पढ़ाया जाता है जो भारत में नहीं हो पाता या इसकी वजह कुछ और है चलिए जानते हैं की इंडियन स्टूडेंट्स एमबीबीएस पढ़ने के लिए यूक्रेन क्यों जाते हैं ।
यहां फीस बहुत महंगी है
अगर मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों के प्राइवेट एमबीबीएस कॉलेजों की बात करें तो वो पूरे कोर्स की 1 करोड़ रुपए से ज़्यादा फीस लेते हैं आपको यह जानकर हैरानी होगी के एमपी में हर साल सरकारी कॉलेजों में सिर्फ 2118 एमबीबीएस स्टूडेंट्स का एडमिशन होता है क्योंकि सीट ही सिर्फ इतनी ही है जो मैरिट में आते हैं और आरक्षण के दायरे में आते हैं उन्हें ही एडमिशन मिलता है। अब तो पूरे देश में मेडिकल की पढाई करने में सरकार 73% आरक्षण देती है ऐसे में सामान्य वर्ग के छात्र विदेश नहीं जाएंगे तो क्या करेंगे?
आपको लगता होगा कि विदेश में मेडिकल की पढाई बहुत महंगी होती है लेकिन ऐसा नहीं है, यूक्रेन में मेडिकल की पढाई सबसे सस्ती है वहां सिर्फ 20 लाख रुपए में 5 साल के अंदर एमबीबीएस कम्प्लीट हो जाता है और यहां भारत में 1 करोड़ से ज़्यादा फीस लगती है। मध्यप्रदेश से हर साल 700 के लगभग छात्र एमबीबीएस के लिए यूक्रेन जाते हैं ।
यूक्रेन में कितनी फीस लगती है
पिछले साल हुई नीट की परीक्षा में 16 लाख 19 हज़ार छात्रों ने परीक्षा दी थी, जिसमे सरकारी कॉलेजों में पढाई करने के लिए सिर्फ 77 हजार का चयन हुआ, सरकारी कॉलेज में मेडिकल की पढाई का खर्च 4 से 5 लाख है जबकि प्राइवेट में 1 करोड़ और यूक्रेन में 20 लाख जब देश में सीट नहीं तो विदेश ही जाएंगे
भारत में कुल 586 मेडिकल कॉलेज हैं जिनमे हर साल 88120 के आसपास छात्रों का चयन होता है।
एमपी में सिर्फ 25 मेडिकल कॉलेज हैं जिनमे 14 सरकारी और 11 प्राइवेट हैं, सरकारी कॉलेज में 2118 सीट होती हैं और प्राइवेट में सिर्फ 1750 सीट फिर कहते हैं देश में डॉक्टर्स की कमी है अरे कमी काहे नहीं होगी भाई जब पढ़ने ही नहीं दोगे तो डॉक्टर बनेंगे कैसे।
यूक्रेन इस मामले में सबसे सस्ता, सुन्दर टिकाऊ है, जहां ना तो रहना महंगा है न पढ़ना। लेकिन इसी कोर्स की पढाई अमेरिका में 8 करोड़ रुपए में होती है, कजाकिस्तान में 25 लाख, ब्रिटेन में 4 करोड़, कनाडा में 4 करोड़, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में 4 करोड़ फीस लगती है। इसी लिए छात्र यूक्रेन की तरफ भागते हैं और पैसे वाले लोग अमेरिका में भी जाकर मेडिकल की पढाई करते है । जिनका भौकाल ही अलग होता है।।
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