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स्वामी प्रसाद मौर्य को मनाने की जिम्मेदारी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के कंधों पर छोड़ी बीजेपी, क्या घर वापसी करा पाएगी बीजेपी


●उत्तर प्रदेश में 53 प्रतिशत पिछडे जातियों की आबादी

●विधानसभा चुनाव में 16 जिलों में मौर्य जातियों का सबसे अधिक वर्चस्व

●मौर्य जातियों के साथ अन्य जाति पर भी पड़ सकता है प्रभाव
लखनऊ : यूपी व‍िधानसभा चुनाव 2022 के ऐलान के साथ ही प्रदेश में राजनीत‍िक उथल-पुथल और दल बदल का खेल शुरू गया है। प्रदेश में योगी सरकार (Yogi government) में कैबिनेट मंत्री स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने पद से इस्‍तीफा (swami prasad maurya resign) देने के साथ ही समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) ज्वॉइन कर ली है। वहीं चर्चा है कि अकेले स्वामी प्रसाद मौर्य ही नहीं बल्कि कई बड़े ओबीसी नेता भी बीजेपी (Bjp) को अलविदा कहने की तैयारी में है। स्‍वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद बीजेपी सकते में आ गई है। वहीं बीजेपी, मौर्य को मामने का प्रयास भी कर रही है।
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य की दलित और पिछड़ा वर्ग अपनी काफी अच्छी पैठ है। उन्होंने इस्तीफा देने के साथ ही बीजेपी पर आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि किसानों, दलितों, नौजवानों के साथ जो व्यवहार हो रहा है, वह बर्दाश्त नहीं है। मैंने मंत्रिमंडल के साथ बाहर भी मंत्रियों से बात की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में बिना सम्मान के बीजेपी में नहीं रह सकता था।
स्वामी प्रसाद को मनाने की कोशिश
बीजेपी को पता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ बड़ा वोट बैंक खिसक जाएगा। पिछले चुनाव में भी बीजेपी को पिछड़ा वर्ग से साथ मिला था। ऐसे में बीजेपी ने यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को इस स्थिति को संभालने का काम सौंपा है।
डिप्टी सीएम ने एक द्वीट भी किया है, 'आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है, मैं नहीं जानता हूँ, उनसे अपील है कि बैठकर बात करें। जल्दबाजी में लिए हुए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं। बीजेपी की स्थिति इस समय यह है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा ज्वॉइन करने के बाद भी उन्हें मनाने के प्रयास में जुट गई है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी मौर्य को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वैसे तो जातियों के आधार पर कोई डाटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन एक अनुमान है कि यूपी में पिछड़े वर्ग (ओबीसी) का वोट 53 फीसद है। वहीं फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया, बदायूं, फिरोजाबाद, एटा, मिर्जापुर, प्रयागराज, मैनपुरी, हरदोई, कन्नौज, कानपुर देहात, जालौन, हमीरपुर, झांसी और ललितपुर जिलों में मौर्य, कुशवाहा समाज का अच्छा दबदबा है। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले बीजेपी बड़े कैबिनेट मंत्री और पिछड़ा वर्ग नेता के रूप में स्वामी प्रसाद मौर्य का जाना बड़ा झटका होगा।


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