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भेड़िया ग्राम सभा मेले में जुटा मेलार्थियों की हज़ारों की संख्या में हुजूम

अम्बारी आजमगढ़। फूलपुर कोतवाली क्षेत्र के भेड़िया ग्राम सभा के मेले में भीषण भीड़ एकत्र हुई बता दें कि, मेले की परंपरा भारतीय संस्कृति और ग्रामीण जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये मेले सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र होते हैं, जहां गांव के लोग एक साथ आकर अपनी परंपराओं और उत्सवों को मनाते हैं।

भेड़िया गांव के मेले की इस वर्ष की विशेषताएं:

1. धार्मिक और सांस्कृतिक आधार:
 पुरानी हनुमान मंदिर पर आयोजित होता है यह मेला।


2. स्थानीय कला और शिल्प का प्रदर्शन:
मेलों में स्थानीय हस्तशिल्प, मिट्टी के बर्तन, और अन्य वस्तुएं बेची जाती हैं। इससे गांव के शिल्पकार और कारीगरों को अपनी कला दिखाने और आय का साधन प्राप्त करने का मौका मिलता है।


3. मनोरंजन का साधन:
मेलों में झूले, मेंहदी की चित्रकारी के कार्यक्रम लोगों के मनोरंजन का मुख्य साधन होते हैं। 

4. खान-पान और मिठाइयां:
मेले में देसी पकवानों जैसे जलेबी, खस्ता कचौड़ी, समोसा, और अन्य मिठाइयों की भरमार होती है। गांव के लोग इनका आनंद उठाने के लिए बेसब्री से इंतजार करते रहे और जमकर खरीदारी किए।


5. सामाजिक मेलजोल:
क्षेत्र का अंतिम दशहरा मेला होने के कारण मेले ग्रामीण लोगों के लिए एक दूसरे से मिलने और रिश्ते मजबूत करने का माध्यम होते हैं। यह न केवल सामाजिक रिश्तों को बढ़ावा देता है, बल्कि सामूहिकता और एकजुटता की भावना को भी प्रोत्साहित करता है।


6. आध्यात्मिक और पारंपरिक जुड़ाव:
मेलों में आने वाले लोगों द्वारा मंदिर में होने वाली पूजा-अर्चना, कथा, या भजन-कीर्तन ग्रामीणों की धार्मिक आस्था को मजबूत करती है। यह गांव के लोगों को अपनी जड़ों और परंपराओं से जोड़े रखता है।

 

भेड़िया ग्राम सभा के मेले का महत्व:

गांव के मेले सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं होते, बल्कि यह ग्रामीण जीवन के हर पहलू को एक साथ जोड़ने का कार्य करते हैं। ये मेलों ग्रामीण संस्कृति, परंपरा, और जीवनशैली को पीढ़ी दर पीढ़ी जीवित रखते हैं।

मेला देर रात तक चला 

यह मेला तो एक दिवसीय मेला होता है पर आस पास के दर्जनों गांवों के लोगों का केंद्र बना रहा जिसमें भेड़िया, चकल्लह, डिघिया, मलगांव, वारी, रम्मोपुर,नोहरा, अमरेथु, सरावां, शाहपुर, भरेड़िया, मेज़वा, सिंगारपुर, बिहटा, पलथी,चकिया, डीहपुर,माहुल, मकसूदिया, जमालपुर, पिपरी, रसूलपुर, आदि गांवों के हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ भेड़िया ग्राम सभा में जुटती हैं और जमकर खरीदारी करती हैं।

भेड़िया ग्राम सभा में मेला 

भेड़िया ग्राम सभा घाट पर वर्ष में दो बार मेला लगता है , एक दशहरा मेला जो आज लगा, यह मेला दुर्वासा ऋषि धाम मेला के आठवें दिन लगता है जिसमें कई दर्जन गांवों का केंद्र बना होता है।

दूसरा मेला शिवरात्रि पर्व पर भी लगता है जिसमें अधिक से अधिक संख्या में भी भीड़ जुटती है और जमकर खरीदारी करती है जिसमें आधा दर्जन के ग्राम सभा के लोगों का केंद्र बना होता है।
•Ggs न्यूज 24 का मेले के प्रति जोर क्यों - 
गांव के मेले भारतीय समाज की सामूहिकता, संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक हैं। यह ग्रामीण जीवन को उत्सवमय बनाते हैं और सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखते हैं।


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