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हेलीकॉप्टर पर बैठने के जिद को लेकर,अड़ गए अखिलेश यादव, तो मुलायम ने सबके सामने ही....

हेलीकॉप्टर पर बैठने की जिद को लेकर अखिलेश यादव को पिता ने सबके सामने डांट दिया था अखिलेश यादव राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल से 12वीं की पढ़ाई कर लौटे ही थे। उस वक्त मंदिर आंदोलन चरम पर था और उनके पिता मुलायम सिंह यादव इस सियासी बिसात के दांव पेंच से जूझ रहे थे। अखिलेश इन सबसे अनजान थे। उस वक्त मुलायम का ज्यादातर वक्त लखनऊ में बीत रहा था, जबकि अखिलेश इटावा में थे।
  इसी दौरान एक दिन मुलायम सिंह यादव हेलीकॉप्टर से एक रैली के लिए इटावा पहुंचे। युवा अखिलेश अपने पिता से मिलने रैली स्थल पर गए। वह उम्मीद कर रहे थे कि पिता मुलायम उन्हें भी हेलीकॉप्टर की सवारी कराएंगे। अखिलेश यादव की जीवनी ‘विंड्स ऑफ चेंज’ में वरिष्ठ पत्रकार सुनीता एरॉन लिखती हैं कि अखिलेश यादव ने पिता से हेलीकॉप्टर में बैठाने की जिद की। इस पर मुलायम सबके सामने ही अखिलेश पर बिगड़ गए और कहा ‘यह तुम्हारे लिए नहीं है,
पिता की डांट सुनकर अखिलेश चुपचाप घर लौट गए। बाद में इस घटना पर अखिलेश ने कहा था, उस वक्त मुझे हेलीकॉप्टर में नहीं बैठाया था, लेकिन इस काबिल बनाया की एक दिन खुद इसकी सवारी कर सकू
अखिलेश यादव जब स्कूल में पढ़ते थे तब मुलायम उन्हें ज्यादा वक्त नहीं दे पाते थे। हालांकि वे टीपू को नियमित पत्र लिखा करते थे। एक ख़त में उन्होंने लिखा था कि “पढ़ने में मेहनत करो, यही काम आएगा’ बाद में मुलायम ने कहा था कि मेरे साथी सब बहुत नाराज हुए और कहा कि तुम्हें टीपू से रेगुलरली बात करनी चाहिए। मुलायम ने स्वीकार किया था कि स्कूल के दिनों में वे अखिलेश को ज्यादा वक्त नहीं दे पाते थे और सियासत में ही रम गए थे।
धौलपुर मिलिट्री स्कूल में दूसरे छात्रों की तरह अखिलेश अपने सभी काम मसलन- कपड़े धोना, जूते पॉलिश करना आदि खुद ही किया करते थे। अखिलेश ने अपनी पहचान भी छुपा कर रखी थी। वह किसी को नहीं बताते थे कि उनके पिता दिग्गज राजनेता मुलायम सिंह यादव हैं।
स्कूल के दिनों में भले ही पिता मुलायम सिंह यादव कुल दो बार अखिलेश से मिलने गए हों लेकिन चाचा शिवपाल और उनकी पत्नी सरला अक्सर अखिलेश से मिलने धौलपुर जाते थे। सुनीता एरॉन अखिलेश के हवाले से लिखती हैं, ‘मुझे इस बात का कभी बुरा नहीं लगा कि दूसरे छात्रों की तरह मेरे परिवार के लोग मुझसे नियमित मिलने नहीं आते थे। दूसरे बच्चों के पैरेंट्स उनके लिए गिफ्ट आदि लाते थे, मैं उसी में खुश था ।।


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