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श्मशान घाट हादसाः16 लाख की रिश्वत लेकर ईओ ने दिया था मौत की छत का टेंडर : गाजियाबाद

गाजियाबाद। मुरादनगर श्मशान घाट हादसे में मौत की छत भ्रष्टाचार के पिलर पर खड़ी की गई थी। नगर पालिका ईओ व अन्य अधिकारियों ने 16 लाख की रिश्वत लेकर श्मशान घाट के गलियारे के निर्माण का ठेका दिया था। 24 मौतों के जिम्मेदार ठेकेदार अजय त्यागी ने पुलिस पूछताछ में यह बात कबूल की। पुलिस के सामने उसने टेंडर प्रक्रिया में 28 से 30 परसेंट कमीशन दिए जाने की बात मानी। घंटों तक चली पूछताछ के बाद पुलिस ने श्मशान घाट के गलियारे के निर्माण में अजय त्यागी के पार्टनर रहे संजय गर्ग निवसी नेहरू नगर को भी गिरफ्तार कर लिया। दोनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

रविवार को मुरादनगर के श्मशान घाट के गलियारे की छत गिरने से अंतिम संस्कार में शामिल होने आए 24 लोगों की दबकर मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे। इस संबंध में पुलिस नगर पालिका ईओ निहारिका सिंह, जेई चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष व ठेकेदार अजय त्यागी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और गबन का केस दर्ज किया था। पुलिस ने सोमवार सुबह ईओ, जेई व सुपरवाइजर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

फरार अजय त्यागी निवासी राजनगर सेक्टर-7 पर सोमवार रात साढ़े 8 बजे 25 हजार का इनाम घोषित किया गया। इनाम के तीन घंटे बाद ही पुलिस ने उसे भी दबोच लिया था। एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि अजय त्यागी से पूछताछ के आधार पर निर्माण कार्य में उसके पार्टनर रहे संजय गर्ग निवासी नेहरू नगर को भी गिरफ्तार किया गया है। श्मशान घाट हादसे में अब तक कुल पांच लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
*भुगतान कराने को देना होता था एडवांस कमीशन,*
अजय त्यागी ने पुलिस को बताया कि वह मैसर्स अजय त्यागी कांट्रेक्टर नाम की फर्म चलाता है। फरवरी 2020 में ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के तहत उसकी फर्म को मुरादनगर श्मशान घाट के सुंदरीकरण व निर्माण का ठेका मिला था। उसने उक्त ठेका 55 लाख रुपये में लिया था। उसे मार्च में 26 लाख की पहली किश्त और जुलाई महीने में 16 लाख की दूसरी किश्त मिली। ठेका आवंटित होने की एवज में उसने जेई के कहने पर नगर पालिका ईओ निहारिका सिंह के कार्यालय में 16 लाख रुपये की रिश्वत दी थी। अजय ने बताया कि अधिकारियों को 28 से 30 परसेंट कमीशन एडवांस देना पड़ता था।
*जल्द निर्माण करने को लिया पार्टनर का सहारा,*
अजय त्यागी ने पुलिस को बताया कि श्मशान घाट का निर्माण दो महीने में पूरा करना था। कोरानाकाल शुरू होने के कारण काम लेट हो गया। अगर समय से निर्माण पूरा न किया जाता तो इस मद में आई रकम लैप्स हो जाती। इसीलिए उसने काम जल्द पूरा करने के लिए एएस कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक संजय गर्ग को साथ लिया। इसके अलावा आरजी विलटेज प्रा. लि. कंपनी के मालिक भानु प्रकाश गर्ग, सचिन गर्ग व विपिन गर्ग को भी साझेदार बनाया। उक्त सभी के साथ मिलकर उसने निर्माण पूरा कराया। अजय के मुताबिक श्मशान घाट के निर्माण के लिए एएस कंपनी की तरफ से ही आशीष को बतौर सुपरवाइजर रखा गया था।
*कॉरीडोर की आड़ में खेल गया भ्रष्टाचार का खेल,*
अजय त्यागी ने पूछताछ में खुलासा किया कि श्मशान घाट के निर्माण में लिंटर व डिजाइन की जरूरत नहीं थी। लेकिन कॉरीडोर की आड़ में भ्रष्टाचार का खेल खेला गया। सरकारी धन का गबन करने के लिए बड़ा बजट बनाया गया। अजय ने खुद कबूल किया कि निर्माण में मानक के अनुरूप सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया। जेई व ईओ ने पर्यवेक्षण के नाम पर खानापूर्ति की। नगर पालिका के अधिकारियों के साथ मिलकर सारा खेल खेला गया।
*कमीशनखोरी में कई रसूखदार और अधिकारी-कर्मचारी आए रडार पर,*
पुलिस पूछताछ में अजय त्यागी ने बताया कि कमीशनखोरी का जाल ऊपर तक फैला हुआ है। सभी तक तय रकम पहुंचने के बाद ही डेंटर मिलता है और रकम का भुगतान होता है। बताया जा रहा है कि अजय त्यागी ने इशारों में यह भी बता दिया कि ईओ के माध्यम से ऊपर बैठे किस व्यक्ति को कमीशन पहुंचाया जाता है। उसने बताया कि निचले कर्मचारी को मोहरे भर हैं, कमीशन की मोटी रकम ऊपर तक जाती है। अजय से पूछताछ के बाद कई रसूखदार और अधिकारी-कर्मचारी , रडार पर आ गए हैं।
*मुकदमे में बढ़ाई भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा,*
ठेकेदार अजय त्यागी व उसके पार्टनर संजय गर्ग से पूछताछ में नगर पालिका के अधिकारियों का भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद पुलिस ने मुकदमे में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा भी बढ़ा दी। एसएसपी का कहना है कि सीओ स्तर के अधिकारी को मामले की विवेचना सौंपी गई है। भ्रष्टाचार व गबन में जिसकी भी संलिप्तता मिलेगी, उसके खिलाफ कड़ा एक्शन होगा। दोषी पाए जाने वाले किसी व्यक्ति के प्रति कोई रियायत नहीं बरती जाएगी।
*चेयरमैन को भी दोषी बता रहे लोग,*
मुरादनगर नगर पालिका सीमा क्षेत्र में अब तक जितने भी विकास कार्य हुए, उनका श्रेय चेयरमैन विकास तेवतिया ने लिया। फीता काटने से लेकर शिलान्यास में वे सबसे आगे रहे। काम पूरा हुआ तो विज्ञप्ति जारी कर उसकी खूब वाहवाही लूटी। लेकिन जब निर्माण कार्य घटिया दर्जे का हुआ और उसमें 24 लोगों की जान चली गई तो चेयरमैन ने पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया।

गाजियाबाद में प्रेसवार्ता कर उन्होंने खुद को निर्दोष करार देते हुए इसका ठीकरा ईओ, जेई, सुपरवाइजर पर फोड़ दिया। ऐसे में चेयरमैन विकास तेवतिया की यह बात लोगों की गले नहीं उतर रही है। लोग पूछ रहे हैं कि विकास कार्यों पर अपने नाम का बोर्ड लगाने वाले नगरपालिका के मुखिया का जिम्मेदारी से यूं भागना कहां तक उचित है। इसमें खास बात यह है कि गाजियाबाद में मौजूद होने के बावजूद वे लोगों के बीच तक नहीं आए। सुबह के वक्त जहां उन्होंने ऑडियो जारी कर खुद के बाहर होने की जानकारी दी। जबकि, उन्होंने दोपहर को गाजियाबाद के होटल में प्रेसवार्ता भी कर दी। ऐसे में लोगों में चेयरमैन के इस रवैये को लेकर भारी रोष दिख रहा है। लोग फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर पर उनसे सवाल पूछ रहे हैं। लोगों का कहना है कि चेयरमैन की अगर मंशा साफ थी तो उनको जनता के बीच आना चाहिए। अपनी सफाई जनता के बीच में देनी चाहिए थी। चेयरमैन होने के नाते उनको देखना चाहिए था कि ठेकेदार ने अंत्येष्टि स्थल में क्या निर्माण कराया है। उसकी गुणवत्ता क्या है। यदि वह मानकों के विपरीत बन रहा था तो उसपर चेयरमैन ने समय रहते आपत्ति क्यों नहीं की। इस बारे में चेयरमैन विकास तेवतिया का कहना है कि लेंटर गिरने में उनका कोई दोष नहीं है। जो भी इसमें दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।


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