Azamgarh|भाड़े के बदमाशों ने पूर्व प्रधान को मारी थी आधा दर्जन गोलिया
आजमगढ़। गुरुवार की शाम बरदह थाना क्षेत्र के सैयद बहाउद्दीनपुर (सोनहरा) निवासी पूर्व प्रधान रणविजय यादव उर्फ रन्नू की गोली मारकर की गई निर्मम हत्या के तरीके पर क्षेत्र में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि इस वारदात में भाड़े के हत्यारे शामिल रहे होंगे। बदमाशों द्वारा रणविजय को आधा दर्जन गोलियां मारी गयी।
पुलिस इस मामले में कई बिंदुओं पर जांच कर रही है। इस मामले में हिरासत में लिए गए तीन लोगों से अभी पूछताछ का क्रम जारी है। वहीं शुक्रवार को जिला अस्पताल परिसर में स्थित पोस्टमार्टम हाउस पर मृतक पक्ष के प्रति संवेदना व्यक्त करने वालों की भारी जुटी। वहीं मृतक पूर्व प्रधान का गांव सोनहरा गम और गुस्से की मौन चादर लपेटे हुए है। गांव में मृतक परिवार के घर पर किसी परिचित या रिश्तेदार के आने से चीख-चित्कार मच जाती है। वहीं एहतियात के तौर पर गांव में पुलिस के जवान जगह-जगह तैनात हैं। आरोपित पक्ष के साथ ही गांव के तमाम लोग पुलिस कार्रवाई से भूमिगत हो गए हैं। आरोपितों के घरों पर ताला लगा हुआ है।
गुरुवार की शाम हुई इस घटना पर नजर डालें तो पिछले ग्राम पंचायत चुनाव में दो दोस्तों के बीच जनप्रतिनिधि बनने की महत्वाकांक्षा ने अदावत की नींव खड़ी कर दी। चुनाव से पहले सोनहरा गांव के पूर्व प्रधान रणविजय यादव उर्फ रन्नू और अनिल यादव दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी। दोनों परिवार के लोगों का दिल्ली व मुंबई में रेडिमेड गारमेंट का बड़ा व्यापार है। आर्थिक संपन्नता के चलते सर्वप्रथम रणविजय यादव उर्फ रन्नू ने प्रधानी के चुनाव में भाग्य आजमाया और सफलता हासिल कर ली। इसके बाद रणविजय की पत्नी भी दूसरे कार्यकाल में ग्राम प्रधान पद पर आसीन हो गई। पिछले चुनाव में रणविजय के समर्थक रहे मित्र अनिल यादव ने ग्राम पंचायत चुनाव के लिए मैदान में उतर गए और यहीं से दोनों दोस्तों के बीच दूरी बन गई। करीब तीन साल पहले 29 मार्च 2021 को होली के मौके पर गांव में हो रही पंचायत के दौरान दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए।
एक पक्ष द्वारा किए गए हमले में अनिल यादव गंभीर रूप से घायल हो गए,जिनकी उपचार के दौरान मौत हो गई। इस मामले में आरोपित पक्ष के रणविजय यादव उर्फ रन्नू सहित अन्य लोगों को जेल जाना पड़ा। जमानत पर रिहा होने के बाद रणविजय उर्फ रन्नू दिल्ली में फैले कारोबार को संभालने के लिए वहीं रहने लगे। उनके दो पुत्रों में बड़ा अमित यादव भी पिता के साथ दिल्ली रहने लगा। गांव वालों के अनुसार मृतक रणविजय करीब एक-डेढ़ माह पहले दिल्ली से अपने घर आए थे। गुरुवार को वह अपनी बुलेट बाइक से स्थानीय मार्टीनगंज बाजार गए थे। शाम को वह बाजार से सब्जी खरीद कर घर लौट रहे थे तभी बेलवाना गांव के समीप पहले से पीछा कर रहे बाइक सवार दो हमलावरों ने ओवरटेक कर रणविजय यादव को रोक लिया। अभी वह कुछ समझ पाते तभी हमलावरों ने असलहे से उन पर गोलीबारी शुरू कर दी। रणविजय को आधा दर्जन गोलियां लगीं और वह मौके पर ही निर्जीव हो गए। घटना को अंजाम देने के बाद हमलावर असलहा लहराते हुए वापस मार्टीनगंज की ओर फरार हो गए। हमलावरों का तेवर देख घटना के समय उधर से गुजर रहे लोगों का कहना है कि जिस तरह से इस घटना को अंजाम दिया गया उसे भाड़े के हत्यारों का इस्तेमाल किए जाने की आशंका को बल मिलता है। घटना की जानकारी पाकर शुक्रवार को मृतक का बड़ा पुत्र अमित भी घर लौटा और फिर जिला अस्पताल के लिए रवाना हो गया।
पुलिस ने घटना के कुछ देर बाद ही इस मामले में पूछताछ के लिए जिन तीन लोगों को हिरासत में लिया है वे सभी अनिल यादव की हत्या में गवाह हैं। उधर इस घटना के बाद आरोपित पक्ष के लोगों के साथ ही उनके समर्थक भी पुलिस कार्रवाई से भयभीत होकर भूमिगत हो गए हैं।
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