मनुष्य को सदा उचित कर्म और धर्म करना चाहिए - बाबा बजरंगदास - पीपरगांव के श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन हुई धुंधकारी कथा
धनपतगंज (सुलतानपुर)। 'मनुष्य को उचित कर्म और धर्म करना चाहिये । हिस्सा बंटवारा को लेकर आपस में भाई से रंजिश विवाद नहीं करना चाहिये। अंतत: भाई ही भाई के काम आता है। श्रीमद्भागवत कथा हमें बताती है कि भाई की मुक्ति भाई के द्वारा हुई ।'
यह बातें बाबा बजरंगदास ने कहीं। वह पीपरगांव के मजगीर बाबा धाम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन धुंधकारी और गोकर्ण की कथा का रसपान करा रहे थे।
उन्होंने कहा धुंधकारी के गलत कार्यो में संलिप्त होने के कारण उसकी हत्या हो गई और अकाल मृत्यु होने के कारण वह प्रेत योनि में चला गया। भाई गोकर्ण ने प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए सूर्य भगवान के बताए सूत्र पर श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया और भाई धुंधकारी को कथा सुनाई, जिसके श्रवण से धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिली।
बाल व्यास सम्पूर्णानंद ने कहा कि भागवत कथा जीवन की व्यथा को समाप्त करती है। यह कथा सुनने के बाद जीव जगत में रहता तो है लेकिन फंसता नहीं है। जीवन में सुख शांति और अंत में मुक्ति पाने हेतु कथा श्रवण आवश्यक है।
कथा की शुरुआत में मुख्य यजमान वरिष्ठ साहित्यकार मथुरा प्रसाद सिंह जटायु व सुषमा रानी सिंह ने श्रीमद्भागवत पुराण की पूजा व कथाव्यास का अलंकरण किया। इस अवसर पर जनशिक्षा समिति काशी प्रांत के प्रदेश निरीक्षक राज बहादुर दीक्षित,संभाग निरीक्षक अयोध्या प्रसाद मिश्र, बिक्रम बहादुर सिंह,राम कुबेर सिंह,रामशंकर सिंह, अंगद कुमार सिंह, आदित्य कुमार सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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