रामलीला के मंच पर जमकर लगे डांसरों के ठुमके, दर्शक दीर्घा में मौजूद बच्चों की संख्या चिंता का विषय
आजमगढ़। नवरात्रि की पूर्व संध्या पर जिले में शुरू हुए रामलीला मंचन के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की लीलाओं से सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले श्रद्धालुओं को प्रेरणादायक कहानी को आत्मसात करने की बातें तो बहुत होती हैं लेकिन क्या इसके लिए इन कार्यक्रमों के आयोजकों को भी चैतन्य रहना चाहिए कि आखिर हम रामलीला मंचन के माध्यम से लोगों को क्या सीख दे सकते हैं। वह समय याद करिए जब इंटरनेट की दुनिया में रामानंद सागर कृत रामायण टीवी सीरियल के प्रदर्शन के दौरान मानो पूरा देश ठहर जाता था। इस टीवी सीरियल को न देख पाने का मलाल मन में पालने वालों को बेहतरीन मौका कोरोना काल में मिला और पूरे देशवासियों के साथ ही नई पीढ़ी को भी इस सुविख्यात टीवी सीरियल देखने का सुअवसर मिला। अब आपको ले चलते हैं आज के आधुनिक परिवेश में जब विजयादशमी (दशहरा) के अवसर पर आयोजित होने वाले श्रीराम लीला मंचन के बारे में। आज इस मौके पर जिले में कई स्थानों पर रामलीला मंचन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है लेकिन जिस तरह का भौड़ा प्रदर्शन इस पवित्र मंच पर देखने को मिल रहा है वह कहीं से भी सभ्य समाज और आने वाली पीढ़ी के लिए उचित नहीं ठहराया जा सकता है। हम बात कर रहे हैं सदर तहसील के एक गांव में नवरात्रि के पूर्व संध्या पर शुरू हुई रामलीला की। जहां शनिवार को पहले दिन दर्शकों की भीड़ जुटाने के लिए मंच पर ठुमके लगा रही डांसरों के प्रदर्शन को देखकर सिर शर्म से झुक जाने के लिए काफी था। हैरानी की बात यह कि मंच के आगे दर्शक दीर्घा में बैठे बालक वर्ग को जिनकी संख्या ज्यादा तो नहीं रही लेकिन दर्जनों बच्चों के सामने जिस तरह का प्रदर्शन डांसरों द्वारा किया जा रहा था वह बच्चों के कोमल दिमाग पर क्या असर डालेगा इसे आसानी से समझा जा सकता है। इसके लिए हम सभी को चिंतन करने की आवश्यकता है। रामलीला के माध्यम से आज हम समाज को क्या परोस रहे हैं क्या यह उचित है। इस गंभीर विषय पर सभी को विचार करना होगा।
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