संत शिरोमणि रविदास जी जयंती मनाया गया हर्षोल्लास के साथ बिलरियागंज
बिलरियागंज आजमगढ़ के लोक जनशक्ति पार्टी अति पिछड़ा प्रकोष्ठ द्वारा आज दिन शनिवार को 1 बजे के करीब जन्मदिन का समारोह का आयोजन किया गया । इस आयोजन का अध्यक्षता कर रही थी संचालक सदावृज राजभर कर रहे थे। संत रविदास जयंती के समारोह मे गरीबों को कंबल का वितरण किया गया। प्रदेश अध्यक्ष शिव मोहन शिल्पकार ने भारत में 15वीं शताब्दी के एक महान संत, दर्शनशास्त्री, कवि, समाज-सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे. वो निर्गुण संप्रदाय अर्थात् संत परंपरा में एक चमकते नेतृत्वकर्ता और प्रसिद्ध व्यक्ति थे. उत्तर भारतीय भक्ति आंदोलन को नेतृत्व देते थे. ईश्वर के प्रति अपने असीम प्यार और अपने चाहने वाले, अनुयायी, सामुदायिक और सामाजिक लोगों में सुधार के लिए अपने महान कविता लेखनों के जरिए संत रविदास ने विविध प्रकार की आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश दिए. गुरु रविदास जयंती के मौके पर आज आपको उनके अनमोल विचार के बारे में बताते हैं.
जो मिला उसे सहर्ष अपनाया- संत रविदास को जूते बनाने का काम पैतृक व्यवसाय के तौर पर मिला. उन्होंने इसे खुशी से अपनाया. वे अपना काम पूरी लगन से करते थे. यही नहीं वे समय के पाबंद भी थे.
सबकी मदद करते थे- रैदास की खासियत ये थी कि वे बहुत दयालु थे. दूसरों की मदद करना उन्हें भाता था. कहीं साधु-संत मिल जाएं तो वे उनकी सेवा करने से पीछे नहीं हटते थे.
अन्याय को कभी नहीं सहा- उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई. छुआछूत आदि का उन्होंने विरोध किया और पूरे जीवन इन कुरीतियों के खिलाफ ही काम करते रहे.
कभी आलोचना नहीं की- संत रविादास के बारे में कहा जाता है कि वे जूते बनाने का काम बड़ी मेहनत से किया करते थे. वे समाज की कुरीतियों के खिलाफ आवाज तो उठाते थे पर उन्होंने कभी किसी की आलोचना नहीं की.
कर्म में विश्वास- इंसान का विश्वास सदैव कर्म में ही होना चाहिए. कर्म के बदले मिलने वाले फल की आशा कभी नहीं छोड़नी चाहिए. कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य.रहा।उपस्थित रहे बिना देवी राजभर गोलाई कैलाश गुण वीरेंद्र कुमार राज कुमार सुरेंद्र कुमार गणेश प्रसाद गौतम जयराम यादव सरवन विश्वकर्मा सुनीता देवी लालमन आशा देवी श्याम दुलारी जयमाला माधुरी कुसुम रीतम देवी आदि।
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