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पुलिस लाइन अकबरपुर अंबेडकर नगर में किशोर न्याय एवं लैंगिक विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन : अम्बेडकरनगर

अम्बेडकरनगर : पुलिस लाइन अकबरपुर अंबेडकर नगर में किशोर न्याय एवं लैंगिक विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लान आफ एक्शन 2020 -2021के अनुपालन में डॉक्टर बब्बू सारंग जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबेडकर नगर के आदेशानुसार अशोक कुमार प्रभारी सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंबेडकर नगर के निर्देशानुसार आज दिनांक 17-02-2021 2021 को पुलिस लाइन अंबेडकर नगर में किशोर न्याय एवं लैंगिक न्याय विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए जारी दिशा निर्देशों के अंतर्गत किया गया l

शिविर को संबोधित करते हुए विराट मणि त्रिपाठी न्यायिक मजिस्ट्रेट जनपद न्यायालय अंबेडकरनगर ने बताया कि जब किसी बच्चे द्वारा कोई कानून विरोधी या समाज विरोधी कार्य किया जाता है तो उसे किशोर अपराध या बाल अपराध कहते हैं l कानूनी दृष्टिकोण में बाल अपराध 8 वर्ष से अधिक तथा 16 वर्ष से कम आयु के बालकों के द्वारा किया गया कानून विरोधी कार्य है जिसे कानूनी कार्यवाही के लिए बाल न्यायालय के समक्ष उपस्थित किया जाता है l भारत में किशोर न्याय अधिनियम 1986 के अनुसार 16 वर्ष तक की आयु के लड़कों एवं 18 वर्ष की आयु लड़कियों को अपराध करने पर बाल अपराधी की श्रेणी में सम्मिलित किया गया है l लैंगिक न्याय विषय पर न्यायिक अधिकारी महोदय द्वारा बताया गया कि लैंगिक असमानता का तात्पर्य लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव से है परंपरागत रूप से समाज में महिलाओं को कमजोर वर्ग के रूप में देखा जाता था l मैं घर और समाज दोनों जगह पर भेदभाव की शिकार होती थी वर्तमान में सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, वन स्टॉप सेंटर योजना, महिला हेल्पलाइन योजना, महिला शक्ति केंद्र जैसी योजनाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का प्रयास किया जा रहा है l योजनाओं के क्रियान्वयन के परिणाम स्वरूप लिंगानुपात और लड़कियों के शैक्षिक नामांकन में प्रगति देखी जा रही है l आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हेतु मुद्रा और अन्य महिला केंद्रित योजनाएं चलाई जा रही हैं l
शिविर में बोलते हुए टी एन द्विवेदी प्रतिसार निरीक्षक पुलिस लाइन अंबेडकरनगर ने बताया कि किशोर अपराधियों को विशेष सुविधा देने और न्याय की उचित प्रणाली अपनाने के लिए किशोर अधिनियम बनाए गए हैं भारत में बच्चों की सुरक्षा के लिए बीसवीं सदी की दूसरी शताब्दी में कई कानून बने 1860 मैं भारतीय दंड संहिता के भाग 399 तथा 562 में बाल अपराधियों के जेल भेजने का प्रावधान किया गया है lदंड विधान के इतिहास में पहली बार या स्वीकार किया गया है कि बच्चों को दंड देने के बजाय उसमें सुधार किया जाए एवं उन्हें अपराधियों से अलग रखा जाए l
शिविर का संचालन रुक्मणी वर्मा क्षेत्राधिकारी भीटी द्वारा किया गया शिविर में राजीव सिंह अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, आशा सिंह, नीरज कुमार आदि पुलिस लाइन के कर्मचारी गण एवं मीडिया कर्मी उपस्थित थे l


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