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सदैव ध्यान रहे कि प्रकृति के विरुद्ध न हो हमारा आचरण - कृष्ण मोहन

• पर्यावरण संरक्षण संगोष्ठी में आयोजित हुआ सहभोज
सुलतानपुर। ' प्रकृति के प्रति हम श्रद्धा भाव रखें। सदैव यह ध्यान रहे कि हमारा आचरण प्रकृति के विरुद्ध न हो। हमें यह प्रण लेना चाहिए कि भले ही हमारे प्राण चले जांय पर हमारे कारण प्रकृति का नुकसान न हो ।' यह बातें पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के काशी प्रांत प्रभारी कृष्ण मोहन ने कहीं। वह श्री संस्कृत महाविद्यालय करौंदिया में चल रहे राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर में छठवें दिन आयोजित पर्यावरण संरक्षण गोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे। 

 कार्यक्रम प्रभारी डॉ बृजेश सिंह ने कहा कि वृक्ष प्राकृतिक सौंदर्य के देवता हैं । इन्हें संरक्षित करना हमारा दायित्व है। कार्यक्रमाधिकारी डॉ नीतू सिंह ने कहा कि प्रकृति की सुरक्षा हेतु जल संरक्षण आवश्यक है। संचालन करते हुए डॉ प्रभात श्रीवास्तव ने बताया कि बेल की जड़ें जलशुद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।  संगोष्ठी में अंतिमा यादव , रीतू प्रजापति , साक्षी मौर्य, कोमल यादव तथा जिगर आदि शिविरार्थियों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रमाधिकारियों ने मुख्य वक्ता को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। 

इस अवसर पर एक सहभोज भी आयोजित हुआ जिसमें महाविद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों , कर्मचारियों व शिक्षकों ने शिविरार्थियों के साथ भोजन ग्रहण किया।


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