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मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से समस्त मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों के साथ साप्ताहिक समीक्षा बैठक

लखनऊ। मुख्य सचिव  दुर्गा शंकर मिश्र ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से समस्त मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों के साथ साप्ताहिक समीक्षा बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। बैठक में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति, राजस्व, ऊर्जा, पशुधन, खाद्य एवं रसद आदि विभागों के कार्यों की समीक्षा की गई।
        अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि मौसम विभाग के अनुसार आगामी दिनों में पूरे प्रदेश में हीटवेव तेजी से बढ़ सकती है, इससे निपटने के लिये अधिकारी प्रोएक्टिव होकर कार्य करें। विगत वर्ष ग्रीष्म ऋतु में जिन स्थानों पर पेयजल की समस्या हुई थी, उसे ध्यान में रखते हुये अभी से एक्शन प्लान तैयार कर लें। जहां कहीं भी टैंकर से पानी पहुंचाने की जरूरत हो, वहां के लिये पर्याप्त मात्रा में टैंकर्स की व्यवस्था अभी से कर ली जाये। सार्वजनिक स्थानों यथा-बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन, बाजार, स्कूल, कॉलेज आदि पर प्याऊ लगवायें जायें, इस कार्य में गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग लिया जा सकता है। कार्यस्थलों व निर्माण स्थलों पर पेयजल का समुचित प्रबंध हो। इसके अलावा हीट वेव से बचाव तथा जल के अनावश्यक प्रयोग को रोकने के लिये लोगों को जागरूक किया जाये।
         उन्होंने बताया कि उ0प्र0 सरकार द्वारा लू-प्रकोप को राज्य स्तरीय आपदा घोषित किया गया है, लू-प्रकोप के प्रबंधन हेतु एस0ओ0पी0 राहत आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। ग्रीष्म ऋतु के दौरान जलापूर्ति के लिए जिला स्तर पर मुख्य विकास अथवा एडीएम स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित कर दिया जाए। इसके अलावा विशेष अभियान चलाकर समस्त अक्रियाशील ट्यूबवेल तथा सिंचाई के साधनों को क्रियाशील करा लिया जाये। क्षतिग्रस्त पाइप-लाइन व लीकेज की मरम्मत तथा ओवरहेड टैंक की सफाई, पशुओं के पेयजल हेतु तालाब एवं पोखरों को भरवाने की व्यवस्था सुनिश्चित करा ली जाये। उन्होंने वन क्षेत्रों में भी पशु-पक्षियों हेतु पेयजल आपूर्ति हेतु तालाब/झीलों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिये।
          उन्होंने समस्त मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत 1 करोड़ घरों तक नल कनेक्शन उपलब्ध कराने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये बधाई दी। उन्होंने कहा कि योजना के तहत हर गांव तक पेयजल पहुंचाना है। कोई घर ऐसा न बचे, जिसमें पानी का कनेक्शन न हो। जिन गांवों में 80 प्रतिशत से अधिक घरों में कनेक्शन हो चुके हैं, वहां पर विशेष अभियान चलाकर शत-प्रतिशत घरों को नल कनेक्शन दिलाये जायें। साथ ही जल की गुणवत्ता तथा नियमित पानी का शुल्क जमा कराने पर भी ध्यान दिया जाये।
           उन्होंने कहा कि हीटवेव में बिजली की उपलब्धता आवश्यक है। ग्रीष्म ऋतु में विद्युत आपूर्ति को सुचारु रखने के लिये सभी तैयारियां पूरी कर ली जायें। विगत वर्षों के अनुभवों को देखते हुये कार्ययोजना बनाकर कार्य किया जाये। यह सुनिश्चित किया जाये कि विद्युत आपूर्ति में कोई प्राब्लम न आये और यदि आये तो शीघ्रातिशीघ्र उसका तत्परता से निस्तारण हो। समय-समय पर जनपद स्तरीय वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विद्युत उपकेन्द्रों का निरीक्षण भी किया जाये। विद्युत आपूर्ति कार्य में शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्यवाही की जाये। ऊर्जा विभाग द्वारा ट्रांसफार्मर और फीडर के अपग्रेडेशन तथा क्षतिग्रस्त लाइनों के परिवर्तन के लिये अत्यधिक धनराशि स्वीकृत की गई है, स्वीकृत कार्यों को समय से पूरे करा लिये जायें। विद्युत आपूर्ति में बाधा उत्पन्न करने वाले पेड़ों की छटाई करा दी जाये।
            उन्होंने कहा कि आगामी सितम्बर-अक्टूबर में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी प्रस्तावित है। एम0ओ0यू0 को धरातल पर उतराने के लिये प्रत्येक निवेशक से संवाद बनाये रखा जाये। उन्हें आवश्यकतानुसार भूमि और समय से एन0ओ0सी0 उपलब्ध करा दी जाये। ऐसे एम0ओ0यू0 को चिन्हित कर लिया जाये, जो जी0बी0सी0 के लिये तैयार हों। सभी जनपदों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एम0आई0यू0 का गठन करते हुये इसकी पहली बैठक 20 अप्रैल, 2023 को कर ली जाये। डिस्ट्रिक्ट एम0ओ0यू0 की पाक्षिक समीक्षा मण्डलायुक्त द्वारा की जाये। उद्योग बंधु की नियमित बैठकें आहूत की जाये, जिसमें निवेश सारथी पोर्टल पर रिपोर्ट किये गये मामलों का निराकरण कराया जाये।
           उन्होंने प्रदेश में गौ-आश्रय स्थलों के निरीक्षण हेतु नामित नोडल अधिकारियों की प्राप्त रिपोर्ट पर चर्चा करते हुये कहा कि प्रदेश में गौ-आश्रय स्थलों की स्थिति बेहतर पायी गई हैं। कतिपय जनपदों में कुछ कमियां पाई गई हैं, उन्हें जल्द से जल्द दूर करा लिया जाये। सभी गौ-आश्रय स्थलों में जल, शेड, भूसा गोदाम, छायादार वृक्ष, साफ-सफाई आदि की व्यवस्था होनी चाहिये। मवेशियों को खुला सड़कों पर छोड़ने वाले पशु मालिकों पर जुर्माना लगाया जाये। उन्होंने गौ आश्रय स्थलों की स्थिति को बेहतर रखने के लिये जनपद स्तरीय अधिकारियों की रोस्टर के अनुसार ड्यूटी लगाकर गौ-आश्रय स्थलों का निरीक्षण कराने का सुझाव दिया।
           उन्होंने कहा कि अभियान चलाकर आश्रय स्थलों की अवशेष मवेशियों की ईयर टैगिंग 22 अप्रैल तक करा दी जाये। गौ आश्रय स्थलों के भूसे का भण्डारण के लिये यह समय अनुकूल है, 20 अप्रैल, 2023 से 20 मई, 2023 तक भूसा संरक्षण अभियान चलाया जाये। सभी गौ आश्रय स्थलों में ग्रीष्म ऋतु से बचाव हेतु समुचित प्रबंध होने चाहिये।
           उन्होंने बताया कि गौ आश्रय स्थलों में गोवंश के लिए भरण-पोषण के लिए दी जानी वाली राशि अब डीबीटी के माध्यम से संस्था के खाते में भेजी जाएगी। अभी तक सिंगल नोडल अकाउंट (एसएनए) के जरिए यह राशि भेजी जाती थी। यह राशि संबंधित पंचायत या संस्था के खाते में हर महीने की पांच तारीख तक पहुंच जाएगी। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत भी गो पालकों के खाते में यह राशि पांच तारीख तक पहुंचाने के निर्देश दिये गये हैं। इसके लिये हर महीने की 25 से 30 तारीख तक पशु चिकित्साधिकारी, खंड विकास अधिकारी/ सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) गोआश्रय स्थलों का सत्यापन कर ऑनलाइन पोर्टल के जरिए मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
           गेहूं क्रय की स्थिति की समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि सभी क्रय केन्द्र क्रियाशील रहें और पोर्टल पर किसानों के पंजीकरण के सापेक्ष शत-प्रतिशत सत्यापन की कार्यवाही पूरी कर ली जाये। जनपद में कितने क्रय केन्द्र कहां पर चल रहे है, इसका भी प्रचार-प्रसार किया जाये। सभी क्रय केन्द्रों पर पेयजल, साफ-सफाई आदि का समुचित प्रबंध रखा जाये। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि किसानों को किसी भी तरह की परेशानी न हो। जनपद स्तरीय अधिकारियों द्वारा निरीक्षण कराकर क्रय केन्द्रों की व्यवस्थाओं का सत्यापन करा लिया जाये। इससे पूर्व बताया गया कि इस वर्ष प्रदेश मे 5900 क्रय केन्द्र संचालित किये जाने के सापेक्ष 5596 केन्द्रों का अनुमोदन हो चुका है, शेष 304 केन्द्र प्रक्रियाधीन हैं। गत वर्ष इसी अवधि में 5564 क्रय केन्द्र संचालित थे।
            इससे पूर्व, मंडलायुक्त प्रयागराज ने पंचायत ऑफिस: ग्रास रूट पब्लिक सर्विस सेण्टर पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि पंचायत भवन में ग्राम पंचायत अधिकारी, लेखपाल, पुलिस व अन्य अधिकारियों के बैठने की व्यवस्था की गई है। रोस्टर तैयार कराकर फोन नं0 के साथ पंचायत भवन में सूची लगाई गई है। इन भवनों को कॉमन सर्विस सेण्टर का दर्जा भी मिल गया है, इससे गांव के लोगों को अपनी समस्या के समाधान के लिए जिला मुख्यालय नहीं जाना पड़ता है, उनकी समस्याओं का निस्तारण स्थानीय स्तरीय पर ही हो जाता है। इस पर मुख्य सचिव ने कहा कि यह बहुत ही प्रशंसनीय प्रयास है। उन्होंने पंचायत भवन में लाइब्रेरी बनाने का भी सुझाव दिया।
            जिलाधिकारी रायबरेली ने  ‘श्री अन्न मिलेट्स-2023’ पर प्रस्तुतीकरण दिया, उन्होंने जनपद में मिलेट्स की पैदावार, मार्केटिंग व लोगों को जागरूक करने के लिये किये जा रहे प्रयासों के बारे में अवगत कराया। इसी क्रम में जिलाधिकारी सुल्तानपुर ने वेस्ट टू वेल्थ इनीशिएटिव के तहत ‘स्ट्रक्चरल वर्क फ्रॉम स्क्रैप मैटेरियल’ विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बोरिंग के खराब जी0आई0 पाइप का रियूज गौशालाओं के शेड्स बनाने में किया गया है, इससे शेड्स बनवाने की लागत में कमी आई है।
             बैठक में अपर मुख्य सचिव ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत महेश कुमार गुप्ता, अपर मुख्य सचिव पशुधन रजनीश दुबे, प्रमुख सचिव नमामि गंगे, अनुराग श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव नियोजन  आलोक कुमार, सीईओ इनवेस्ट यूपी  अभिषेक प्रकाश, राहत आयुक्त  प्रभु नारायण सिंह, एमडी यूपीपीसीएल  पंकज कुमार सहित संबंधित विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समस्त मंडलायुक्त, जिलाधिकारीगण आदि उपस्थित थे।


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