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जानें क्या है मोदी सरकार का हरित हाइड्रोजन मिशन ,पेट्रोल पर निर्भरता होगी अब खत्म

नई दिल्ली: देश में एक तरफ जहां पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर निर्भरता कम करने के लिए इलेक्ट्रिक जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार स्थाई विकल्प तलाशने के लिए एक बड़ा कदम उठा रही है। स्वच्छ ऊर्जा उत्पाग्रीन हाइड्रोजन हब का विकास, पेट्रोल पर निर्भरता खत्म, जानें क्या है मोदी सरकार का हरित हाइड्रोजन मिशनदन,भविष्य की जागरूकता और जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी है।
क्या है हरित हाइड्रोजन मिशन
बता दें कि राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का मकसद भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के प्रॉडक्शन, यूटिलाइजेशन और एक्सपोर्ट के लिए ग्लोबल हब बनाना है। यह मिशन भारत की एनर्जी इंडिपेंडेंट बनने और अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों के डीकार्बोनाइजेशन में मदद करेगा। इस मिशन के तहत साल 2030तक सालाना 50लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादित की जाएगी।
क्या होंगे प्रमुख फायदे
मिशन से विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे, जैसे- ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के लिए निर्यात के अवसरों का सृजन; औद्योगिक, आवागमन और ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी,आयातित जीवाश्म ईंधन और फीडस्टॉक पर निर्भरता में कमी, स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का विकास; रोजगार के अवसरों का सृजन; और अत्याधुनिक तकनीकों का विकास। सरकार की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, मिशन से 2030 तक निम्नलिखित संभावित परिणाम प्राप्त होंगे।
1. देश में लगभग 125 जीडब्ल्यू की संबद्ध रिन्युएबल एनर्जी क्षमता वृद्धि के साथ प्रति वर्ष कम से कम 5 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास
2. 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कुल निवेश
3. 6 लाख से अधिक रोजगारों का सृजन
4. कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के जीवाश्म ईंधन के आयात में कमी
5. वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी


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