डॉ.जयसिंह व्यथित की रचनाएं साहित्य की अमूल्य निधि - प्रदीप
• समारोह में मिला तीन विभूतियों को प्रतिमान सम्मान और पुस्तक लोकार्पण
लम्भुआ (सुलतानपुर)। 'सर्वोदयी विचारधारा से प्रभावित डॉ.जयसिंह व्यथित का जीवन एक रोचक कथा के समान है। शोषित पीड़ित मानव समाज की व्यथा से व्यथित उनकी रचनाएं हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं ।' यह बातें वरिष्ठ साहित्यकार लोक भूषण डॉ आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप ने कहीं।
वह साहित्यिक संस्था प्रतिमान द्वारा विक्रमपुर तेरयें गांव में गुजराती और हिंदी के चर्चित साहित्यकार डॉ.जयसिंह व्यथित की पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह को बतौर अध्यक्ष सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्य अतिथि संत तुलसीदास पीजी कालेज के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय साहित्येन्दु ने कहा कि जयसिंह व्यथित बचपन से ही साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक प्रवृत्तियों से ओतप्रोत थे। गुजरात में रहते हुए भी जनपद के साहित्यकारों से उनका गहरा सम्बन्ध था ।
राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहा कि एक अहिंदी प्रदेश में हिन्दी भाषा के विद्यालय , संस्थान , पत्रिका आदि स्थापित करने वाले डॉ.जयसिंह व्यथित अवधी,गुजराती व हिन्दी के चर्चित साहित्यकार थे। कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित जयसिंह व्यथित पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध कार्य सम्पन्न हो चुका है। लम्भुआ तहसील के अपने पैतृक गांव में उन्होंने विश्व अवधी संस्थान की स्थापना की थी ।
पूर्व प्रधानाचार्य डॉ राम प्यारे प्रजापति ने कहा कि व्यथित सहज ,सरल और उदार व्यक्ति थे। उनका साहित्य प्रेरणादायक है।
इस अवसर पर अतिथियों ने अंग वस्त्र, सम्मान पत्र व स्मृति चिन्ह देकर वरिष्ठ समीक्षक सुरेश चंद्र शर्मा, अम्बेडकरनगर के डॉ.ओम अनादि गुप्त और कवि विजय शंकर मिश्र भास्कर को प्रतिमान सम्मान प्रदान किया । साथ ही विजय शंकर मिश्र भास्कर की नवीन संस्मरण कृति सोनार बांग्ला का लोकार्पण भी हुआ।
समारोह का संचालन साहित्यिक पत्रिका अभिदेशक के सम्पादक डॉ ओंकार नाथ द्विवेदी तथा आभार ज्ञापन युवा साहित्यकार पवन कुमार सिंह 'पवन प्रदीप' ने किया।
इस अवसर पर कोइरीपुर के समाजसेवी वीरेंद्र सिंह , साहित्यकार राजबहादुर यादव राना , हरगोविंद सिंह,सर्वेशकांत वर्मा सरल,राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय गड़बड़ , देवेश सिंह,शिवेश सिंह आदि ने अपने विचार रखे।
Leave a comment