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इलेक्ट्रॉनिक कविता है हाइकु - डॉ.करुणेश भट्ट

- अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने मनाया हाइकु दिवस 
कादीपुर (सुलतानपुर)। 'हाइकु विश्व की सबसे छोटी कविता है। आज के आपाधापी के दौर में हाइकु सर्वाधिक प्रासांगिक कविता है। सही अर्थों में कहा जाय तो यह ऐसी इलेक्ट्रॉनिक कविता है जो बहुत कम समय में काव्यानंद देती है। ' यह बातें संत तुलसीदास पीजी कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.करुणेश भट्ट ने कहीं। 
वह विक्रम भवन में अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा हाइकु दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे। 
 संगोष्ठी का संचालन करते हुए राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहा कि हाइकु जापानी काव्य शिल्प पर आधारित सत्रह वर्णों की त्रिपदी कविता है । हाइकु कम शब्दों में अधिक बात कहने की कला है । 
चर्चित साहित्यकार कमलेश भट्ट कमल ने गोष्ठी में नोयडा से आनलाइन जुड़ते हुए कहा कि हाइकु शब्दों की साधना है। इसने हिंदी साहित्य को एक नया आयाम दिया है। हाइकु ने तमाम लोगों को कविता से जोड़ा है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार मथुरा प्रसाद सिंह जटायु ने कहा कि कविता लिखते समय जब तक काव्य तत्व न हो तब तक वर्णिक या मात्रिक छंद की शर्तें पूरा करना ही कविता नहीं है। इस अर्थ में हाइकु लेखन सरल नहीं है। माध्यमिक विद्यालयों में चलने वाली पाठ्य पुस्तकों के लेखक सर्वेश कांत वर्मा सरल ने कहा कि सुलतानपुर के साहित्यकारों ने हाइकु विधा में अपना प्रमुख स्थान बनाया है। हाइकु कोश में जनपद के तीन प्रमुख साहित्यकार शामिल हैं। 

  1. संगोष्ठी में ओंकार नाथ श्रीवास्तव, युवा साहित्यकार पवन कुमार सिंह , अशोक आचार्य अनंत व ज्ञानेन्द्र वर्मा आदि ने कविताएं सुनाईं।

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