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दर्द से दर्द को जोड़कर समाज में एकता स्थापित करती हैं पुस्तकें - कमल नयन पाण्डेय

• राणा प्रताप पीजी कालेज में छ दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन 
सुलतानपुर। 'साहित्य दुख निवारण का साधन है। दर्द से दर्द को जोड़कर समाज में एकता स्थापित करना पुस्तकों का मूल काम है।छपे हुए अक्षर का अंत संभव नहीं है इसलिए पढ़ने की संस्कृति कभी खत्म नहीं होगी ।' यह बातें प्रख्यात साहित्यकार कमल नयन पाण्डेय ने कहीं। 
वे राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भारतीय ज्ञानपीठ व वाणी प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित छ दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी के उद्घाटन संगोष्ठी को बतौर अध्यक्ष सम्बोधित कर रहे थे।
हिंदी विभाग द्वारा 'हमारा समय और पढ़ने की संस्कृति' विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के एन आई के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर राधेश्याम सिंह ने कहा कि पुस्तकों का महत्व असंदिग्ध है । किताबें हमें समझदार बनाती हैं। इस उत्तर आधुनिक युग में हमारी आदतें तेजी से बदली हैं। पुस्तकों से दूरी बनती जा रही है ऐसे में पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन पाठकीय संस्कृति को सम्बल प्रदान करेगा । 
 हिंदी विभागाध्यक्ष इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि पुस्तकें हमारे समक्ष अपने समय का साक्ष्य उपस्थित करती हैं। पुस्तक प्रदर्शनी व्यावसायिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और वैचारिक उपक्रम है। 
आगंतुकों का स्वागत करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि पुस्तकें व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 
संचालन पुस्तक प्रदर्शनी के संयोजक असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि और आभार ज्ञापन लोकेश श्रीवास्तव ने किया। 
इस अवसर पर वाणी प्रकाशन के प्रबंधक विनोद तिवारी, डॉ.धर्मपाल सिंह, डॉ.डी.एम.मिश्र, डॉ.ओंकारनाथ द्विवेदी, प्रतापगढ़ के साहित्यकार अंजनी कुमार सिंह ,एन.पी.शुक्ल समेत महाविद्यालय के शिक्षक व विद्यार्थी मौजूद रहे। 
अतिथियों ने मां सरस्वती तथा महाराणा प्रताप के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। 
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प्रदर्शनी का समय बढ़ा , नागार्जुन पर होगी संगोष्ठी  
सुलतानपुर। पुस्तक प्रदर्शनी संयोजक असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने बताया कि 19 नवम्बर तक चलने वाली यह प्रदर्शनी सुबह दस बजे से रात्रि आठ बजे तक चलेगी। जनपदवासियों को पुस्तकों की खरीद पर विशेष छूट भी प्रदान की जायेगी। 
प्रदर्शनी में मंगलवार 15 नवंबर को दोपहर एक बजे से जनकवि नागार्जुन की प्रांसगिकता विषय पर एक संगोष्ठी भी आयोजित की जायेगी।


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