मां मंगला भवानी ने अंग्रेज अधिकारी को दिया ऐसा दंड,मंदिर मे पत्थर स्थापित करने को हुआ मजबूर,करती सबकी मुरादें पूरी
बलिया जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 31 के किनारे कोंरटाडीह पुलिस चौकी के पास उत्तर वाहिनी गंगा नदी के तट पर स्थित मां मंगला भवानी मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। दूर दूर से माता रानी के भक्त आकर दर्शन, पूजन अर्चन कर माता रानी के दरबार में माथा टेक रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि माता रानी के दरबार मे जो भी आता है सबकी मुरादें पूरी करती है। शारदीय नवरात्र के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और माता रानी के जयकारे से पूरा इलाका गूंज रहा है।
बताया जाता है कि अति प्राचीन यह मंदिर छठी शताब्दी से पहले का है। इसकी प्राचीनता का उल्लेख करते हुए बलिया के तत्कालीन जिलाधिकारी रहे हरीसेवक राम ने अपनी पुस्तक 'बलिया एक दृष्टि' में बताया है कि चीनी यात्री ह्वेनसांग ने पटना जाते समय अपनी डायरी में मां मंगला भवानी का जिक्र किया है।
मान्यता है कि 1876 से पहले गाजीपुर जिला में कोरंटाडीह तहसील बनाया जा रहा था, तहसील निर्माण में यह मंदिर बाधक बन रहा था। इस कारण अंग्रेज अधिकारी ने मंदिर को तोड़वा दिया, साथ ही जिस पत्थर को भक्त मां मंगला भवानी के रूप में पूजते थे उसे गंगा में फेंकवा दिया। इसके 1 सप्ताह के अंदर अंग्रेज अधिकारी के बेटे की असामयिक मौत हो गई, दूसरी ओर अस्तबल के घोड़े मरने लगे। एक रात अंग्रेज अधिकारी को सपना दिखा की मंदिर में रखे जिस पत्थर को गंगा में फेंकवाया है उसे तत्काल निश्चित स्थान पर लगाओ अन्यथा तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा। अंग्रेज अधिकारी ने तत्काल मां भवानी के रूप में पूजे जाने वाले पत्थर को निकलवा कर और निश्चित स्थान पर स्थापित करवाया।
कहा जाता है कि इस पत्थर को गंगा नदी से निकालने वाले उजियार गांव निवासी दरगाही यादव थे। मां मंगला भवानी के रूप में पूजे जाने वाले पत्थर स्थापित करने के बाद अंग्रेज अधिकारी के सभी कष्ट दूर हो गए। मान्यता है कि यहां आने वाले सभी भक्तों श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। ऐसे में पिछले कई दशकों से मां का दर्शन पूजन करने के लिए सामान्य दिनों में भी भक्तों का तांता लगा रहता है। जबकि नवरात्र में तो मां मंगला भवानी के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है।
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