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देवलोक की अनूठी छटाओं का दृश्य, दुर्गा पूजा महोत्सव की तैयारी शुरू

सुल्तानपुर। देश-विदेश के धार्मिक स्थलों के साथ देवलोक की अनूठी छटाओं का दृश्य इस बार के दुर्गा पूजा महोत्सव में देखने को मिलेगा। विजयादशमी से शुरू होने वाले महोत्सव की तैयारियों में पूजा समितियों ने जोर पकड़ लिया है। शहर के करीब 130 पंडालों में मां भगवती के विविध स्वरूपों के दर्शन मिलेंगे। देवी प्रतिमाओं को जीवंत रूप देने के साथ ही पंडालों को भव्य स्वरूप देने का कार्य शुरू हो गया है। कोरोना संक्रमणके चलते दो साल दुर्गा पूजा महोत्सव का उल्लास फीका रहा। इस बार पूजा समितियों की ओर से महोत्सव को भव्य बनाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। कारीगर देवी पंडालों को विभिन्न मंदिरों का स्वरूप देने में जुटे हैं। बांस-बल्ली से बनने वाले पंडालों में मंदिरों का ढांचा तैयार किया जा रहा है। दो साल के बाद इस बार दुर्गा पूजा महोत्सव में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी।
1959 में हुआ दुर्गा पूजा का शुभारंभ
जिले में दुर्गा पूजा का शुभारंभ 1959 में ठठेरी बाजार में भिखारीलाल सोनी व उनके सहयोगियों ने कराया था। यहां से शुरू हुआ दुर्गापूजा का सिलसिला समय के साथ बढ़ता ही गया। स्व. भिखारीलाल के चचेरे भाई बाबा राधेश्याम सोनी बताते हैं कि दूसरी मूर्ति की स्थापना रुहट्ठा गली में बंगाली प्रसाद सोनी ने 1961 में कराई। वर्ष 1970 में दो प्रतिमाएं और जुड़ीं। इसके अगले वर्ष कालीचरन ने श्री संतोषी माता और राजेंद्र प्रसाद (रज्जन सेठ) ने मां सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना कराई थी। वर्ष 1973 में श्री अष्टभुजी माता, श्री अंबे माता, श्री गायत्री माता, श्री अन्नपूर्णा माता की स्थापना के साथ ही दुर्गापूजा महोत्सव की शुरुआत हुई। इस समय शहर के दुर्गापूजा महोत्सव से प्रेरित होकर जिले केे सभी तहसीलों व कस्बाई क्षेत्रों में भी प्रतिमाओं की स्थापना की जाने लगी है। आज जिले का दुर्गापूजा महोत्सव पूरे देश में कोलकाता के बाद दूसरे स्थान पर माना जाता है।
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महिला सिपाही शिखा नैन की मौत के मामले में पति आकाश पर दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज हो गया है। आकाश सेना में जवान है और मेरठ का निवासी हैं। 2020 में आकाश और शिखा की शादी मेरठ में हुई थी।
ठठेरी बाजार में बन रहा मथुरा वृंदावन मंदिर का स्वरूप
श्री दुर्गा पूजा समिति (बड़ी दुर्गा) की ओर से ठठेरी बाजार में बड़ी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। राधेश्याम सोनी ने बताया कि इस बार पंडाल को मथुरा के वृंदावन मंदिर का स्वरूप दिया जा रहा है। झारखंड से आए कारीगर बांस-बल्ली से मंदिर का ढांचा खड़ा कर रहे हैं। इसके बाद मंदिर के रूप में सजाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस पंडाल में बड़ी दुर्गा, लक्ष्मी जी, सरस्वती जी, गणेश भगवान, कार्तिकेय व महिषासुर की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। शारदीय नवरात्र के सप्तमी को पंडाल में सभी प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी।


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