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डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' नीति लागू करने की घोषणा की,दुनिया की फार्मा इंडस्ट्री में मची हलचल! अमेरिका की ‘सबसे कम कीमत’ नीति से भारत को कितना नुकसान?

Donald Trump drug price policy: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले से दुनिया भर में दवाओं की कीमतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) के माध्यम से अमेरिका में दवाओं की कीमतों को अन्य विकसित देशों के स्तर पर लाने की योजना की घोषणा की है. इस नीति के तहत, अमेरिका में मेडिकेयर (Medicare) द्वारा दी जाने वाली दवाओं की कीमतों को उन देशों की सबसे कम कीमतों के साथ जोड़ा जाएगा, जहां ये दवाएं पहले से ही सस्ती हैं.

रविवार को अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि वह 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (सबसे पसंदीदा राष्ट्र) नीति को लागू करेंगे. इस नीति के तहत अमेरिका उन दवाओं के लिए उतनी ही कीमत चुकाएगा, जितनी दुनिया में किसी भी देश ने सबसे कम अदा की हो. ट्रंप ने दावा किया कि इस कदम से अमेरिकी नागरिकों के स्वास्थ्य खर्च में ऐतिहासिक कमी आएगी. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप द्वारा 'ट्रिलियन्स ऑफ डॉलर्स' की बचत का दावा हकीकत से कुछ ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है.
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) ड्रग प्राइसिंग नीति अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए दवाओं की कीमतों में राहत ला सकता है, लेकिन इसके वैश्विक प्रभाव जटिल और दूरगामी हो सकते हैं. यह नीति अन्य देशों में दवाओं की कीमतों, उपलब्धता, और फार्मास्युटिकल उद्योग की रणनीतियों को प्रभावित कर सकती है. इसका भारत के फार्मास्युटिकल उद्योग पर भी बुरा असर पड़ेगा. ट्रंप के फैसले के संभावित वैश्विक प्रभाव दवाओं की कीमतों में वैश्विक असंतुलन: यदि अमेरिका में दवाओं की कीमतें कम होती हैं, तो फार्मास्युटिकल कंपनियां अपने मुनाफे को बनाए रखने के लिए अन्य देशों में कीमतें बढ़ा सकती हैं. इससे विकासशील देशों में दवाओं की उपलब्धता और वहनीयता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. अनुसंधान और विकास पर प्रभाव: फार्मास्युटिकल उद्योग का कहना है कि कीमतों में कटौती से अनुसंधान और विकास (R&D) के लिए उपलब्ध संसाधनों में कमी आ सकती है, जिससे नई दवाओं के विकास की गति धीमी हो सकती है. वैश्विक व्यापार संबंधों पर असर: अमेरिका का यह कदम अन्य देशों के साथ व्यापारिक संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है, विशेषकर उन देशों के साथ जो पहले से ही दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करते हैं. भारत पर ट्रंप की नीति का क्या प्रभाव पड़ेगा? डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) ड्रग प्राइसिंग नीति से भारत के फार्मास्युटिकल उद्योग पर कई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकते हैं. भारत, जो जेनेरिक दवाओं का एक प्रमुख उत्पादक है, इस नीति से प्रभावित हो सकता है. यदि वैश्विक बाजार में कीमतें बढ़ती हैं, तो भारतीय दवा कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अपनी रणनीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है.
भारत पर संभावित प्रभाव भारतीय फार्मा कंपनियों के मुनाफे पर दबाव: ट्रंप की नीति के तहत, अमेरिका में दवाओं की कीमतों को अन्य देशों की सबसे कम कीमतों के बराबर लाया जाएगा. इससे भारतीय फार्मा कंपनियों, जो अमेरिकी बाजार में जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करती हैं, के मुनाफे पर दबाव बढ़ सकता है. उदाहरण के लिए, सन फार्मा के शेयरों में 4.6% की गिरावट देखी गई, जबकि ज़ाइडस लाइफ और सिप्ला के शेयरों में भी गिरावट आई. दवा कीमतों में वैश्विक पुनर्संतुलन: ट्रंप की नीति से वैश्विक दवा कीमतों में पुनर्संतुलन हो सकता है. फार्मा कंपनियां अन्य देशों में कीमतें बढ़ाकर अमेरिकी बाजार में होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकती हैं. इससे भारत जैसे देशों में दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं. बौद्धिक संपदा अधिकारों पर दबाव: अमेरिका पहले ही भारत को बौद्धिक संपदा अधिकारों के मामले में 'प्राथमिकता निगरानी सूची' में रख चुका है. नई नीति के तहत, भारत पर पेटेंट कानूनों को सख्त करने का दबाव बढ़ सकता है, जिससे जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है. निवेशकों की चिंता और शेयर बाजार पर असर: भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई है. उदाहरण के लिए, बायोकॉन और ल्यूपिन के शेयरों में क्रमशः 3% और 2% की गिरावट आई. यह निवेशकों की चिंता को दर्शाता है कि नई नीति से कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ सकता है. ट्रंप की 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' नीति से भारत के फार्मास्युटिकल उद्योग पर दबाव बढ़ सकता है. कंपनियों को अपने व्यापार मॉडल और मूल्य निर्धारण रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है. सरकार को भी घरेलू दवा कीमतों को नियंत्रित रखने और वैश्विक दबावों का सामना करने के लिए नीतिगत कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है.


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