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गाजीपुर और आजमगढ़ में भाजपा और बसपा का खाता भी नही खुला...

गाजीपुर जिले में भाजपा और बसपा की करारी हार के पीछे के कारणों को अब राजनीतिक रणनीतिकार अपने-अपने चश्‍मे से खोज रहे हैं। आजादी के बाद बसपा के मूल वोटरों में सबसे ज्‍यादा गिरावट आयी है। कांशीराम के बाद यूपी की राजनीति में पहली बार बसपा के वोट प्रतिशत में इतनी भारी गिरावट देखने को मिला है, जिसके पीछे रणनीतिकार बता रहे है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस विधानसभा चुनाव को पूरे तेवर में नही लड़ा था और कई बार भाजपा के पक्ष में भी बयान देने से वोट बैंकों में बिखराव हुआ।
        दूसरी तरफ सपा ने सैदपुर और जखनियां सुरक्षित सीट पर चमार बिरादरी के प्रत्‍याशी को उतार कर बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाया है। भाजपा की करारी हार के पीछे रणनीतिकार बताते हैं कि पार्टी में अंतरकलह और पर्सनल इगो को लेकर भाजपा को यह हार का सामना करना पड़ा।
       राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा के वर्तमान जनप्रतिनिधियों से पार्टी के कार्यकर्ता नाराज थे उनको मनाने और उनमे जोश भरने में ही सारा समय निकल गया। भाजपा के अति पिछड़ा वोट बैंक में भी सपा ने काफी सेंध मारी की जिसके चलते सपा को हर सीटों पर काफी बढ़त मिली।
        जिले में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के गठबंधन के कारण हर विधानसभा करीब 20 से 25 हजार राजभर मतों का समाजपार्टी को फायदा मिला जिससे वह काफी बढ़त बनाने में सफल रही।आजमगढ़ के दस सीटों पर भी समाजवादी का परचम लहराया भाजपा बसपा के झोली खाली रही वही बसपा का प्रदर्शन तीसरे नम्बर पर रही।


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