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आज़मगढ़ से 2022 विधानसभा सभा का अमित शाह करेंगे शंखनाद, पूर्वांचल पर भाजपा का मंथन जारी

उत्तर प्रदेश : 2022 चुनावी बिगुल की शुरुआत को लेकर भाजपा ने पूर्वांचल को चुना है मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में लगातार तीन चुनाव से जीत का परचम लहरा रही बीजेपी मिशन-2022 की तैयारियों में कई महीनों से जुटी हुई है. यूपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान अपनी टीम के साथ मोर्चे पर डटे हुए हैं तो चुनाव नजदीक आते ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सूबे की चुनावी रणनीति की कमान अपने हाथ में ले ली है.
अमित शाह पिछले सप्ताह शुक्रवार को लखनऊ प्रवास के दौरान योगी सरकार के मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर सियासी माहौल भांपने के बाद अब पूर्वांचल की सियासी नब्ज को समझने के लिए दौरा करेंगे. शाह दिपावली के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव के मजबूत दुर्ग आजमगढ़ और पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक कर 2022 की चुनावी रणनीति बनाएंगे.
यूपी में अमित शाह फैक्टर
बीजेपी के लिए काफी समय से सूखी पड़ी रही उत्तर प्रदेश की धरती पर अमित शाह अपनी मेहनत और रणनीति से हर तरफ कमल खिलाने में सफल रहे हैं. इसी का नतीजा था कि बीजेपी 15 साल के बाद 2017 में सूबे की सत्ता में प्रचंड बहुमत के साथ लौटी, जिसे अब पार्टी किस भी सूरत में अपने हाथों से नहीं निकलने देना चाहती है. यही वजह है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व सूबे में सक्रिय है.
पीएम मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के बड़े नेता सूबे के सियासी रण में उतर चुके हैं. नरेंद्र मोदी ने तबड़तोड़ दो दौरों के जरिए पूर्वांचल को विकास की सौगात देकर मिशन-2022 का आगाज कर दिया है तो अमित शाह ने चुनावी रणनीति का जिम्मा संभाल लिया है. अमित शाह 29 अक्टूबर को लखनऊ आए तो बंद कमरे में वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ खुलकर बात की और बारी-बारी से सभी चुनाव सह प्रभारियों से क्षेत्रवार माहौल को जाना.
क्षेत्रवार समीकरण बनाएंगे शाह
यूपी की सियासी नब्ज की थाह लेने के बाद अमित शाह ने अब सूबे में क्षेत्रवार दौरे के जरिए सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की रणनीति बनाई है. इसी के तहत अमित शाह 2022 चुनाव से पहले बूथ स्तर तक बीजेपी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए वाराणसी में 12 नवंबर को एक दिन में आठ से ज्यादा बैठकें लेंगे और उसी के दूसरे दिन 13 नवंबर को सपा प्रमुख अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में रैली कर चुनावी अभियान का शंखनाद करेंगे.
अमित शाह का अवध क्षेत्र का दौरा पूरा होने के साथ ही पूर्वांचल प्रवास की रणनीति तैयार की गई है. इसमें अलग-अलग सांगठनिक बैठकों के साथ ही समाज में पैठ रखने वाले लोगों के साथ भी वे चर्चा करेंगे. इस दौरान अमित शाह पीएम मोदी के काशी क्षेत्र के 71 विधानसभा सीटों पर सक्रिय दावेदार, पूर्व प्रत्याशी, विधायक सहित अन्य लोगों की रिपोर्ट कार्ड की भी समीक्षा करेंगे.
अखिलेश-राजभर का समीकरण
अमित शाह का पूर्वांचल दौरा इसलिए भी काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ हाथ मिला लिया है. 2017 में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे, जिसका फायदा पूर्वांचल के करीब 3 दर्जन सीटों पर मिला था. ऐसे में अब बीजेपी को अब पूर्वांचल में अपना समीकरण नए तरीके के बनाना है. ऐसे में शाह ने सपा के मजबूत गढ़ आजमगढ़ से मिशन-पूर्वांचल का आगाज करने का प्लान बनाया है ताकि एक बड़ा सियासी संदेश दिया जा सके.  
दरअसल, अमित शाह ने बीजेपी के प्रदेश प्रभारी के रूप में यूपी की सियासत पर मजबूत पकड़ बनाई थी. शाह की अगुवाई में ही बीजेपी यूपी में अपने खोए जनाधार को वापस लाने में सफल रही थी. अमित शाह 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रभारी रहते बीजेपी को जीत दिलाई तो 2017 के विधानसभा चुनाव में बतौर पार्टी अध्यक्ष के तौर पर सत्ता से 15 साल का वनवास खत्म कर इतिहास रचा और 2019 में सपा-बसपा गठबंधन की रणनीति को भी फेल कर दिया.
अमित शाह ने पूर्वांचल के लिए विशेष रणनीति के साथ काम किया था और विरोधियों को मात दी थी. विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बीजेपी ने प्रबंधन के लिए धर्मेंद्र प्रधान की अगुवाई में सह-प्रभारी नियुक्त किए हैं और हर सीट पर जीत-हार का आकलन किया जा रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि शाह पूर्वांचल की कमान खुद संभालेंगे, क्योंकि बीजेपी के चुनौतियां दूसरे इलाके से कहीं ज्यादा हैं.



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