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IPS अनुराग आर्य आज़मगढ़ के नए पुलिस अधीक्षक, अनुराग आर्य की कहानी/ जीवन के कुछ महत्वपूर्ण यादें .. देहरादून मिलिट्री स्कूल से IPS तक की सफ़र

आज़मगढ़ के नए पुलिस अधीक्षक के बतौर अनुराग आर्य की कहानी/ जीवन के कुछ महत्वपूर्ण यादें और IPS तक की सफ़र का एक झलक बतादेकि,बागपत जिले के छपरौली में 10 दिसम्बर 1987 को पैदा हुए अनुराग आर्य 2013 बैच के आईपीएस हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से एमएससी की पढ़ाई के दौरान 2012 में उनको बैंक में मैनेजर की नौकरी मिल गई। नौकरी के दौरान 2012 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा में पहले प्रयास में ही उन्हें सफलता मिल गई। बैंक की नौकरी छोड़कर 2014 में उन्होंने आईपीएस की ट्रेनिंग ली। पहली पोस्टिंग गाजियाबाद में हुई। फिर कानपुर, वाराणसी व मऊ गए। वह अलग हटकर काम करने के तरीकों के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में मऊ में माफिया मुख्तार अंसारी और उसके करीबियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के लिए अनुराग काफी चर्चित रहे।
कई बार लोगों की ज़िंदगी ठीकठाक चल रही होती है, लेकिन तभी कोई झटका उनकी पूरी ज़िंदगी को बदल कर रख देता है. ये वो समय होता है जब उसे सोचना पड़ता है कि उसे करना क्या है. तब वो जो फैसला लेता है वो उसके कैरियर (career) के लिए निर्णायक साबित होता है. 2013 उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस (IPS) अनुराग आर्य के साथ बिल्कुल यही हुआ. कभी इंग्लिश से डरने वाले अनुराग जब एमएससी में फेल हुए तो उन्होंने एमएससी की पढ़ाई छोड़कर कुछ समय अपने कैरियर को लेकर सोचा. इसके बाद जुट गए आईपीएस की तैयारी में. चलिए आज जानते हैं अनुराग आर्य की आईपीएस की यात्रा के बारे में:
●इंग्लिश को लेकर होती थी दिक्कतें
अनुराग गांव में रहते थे. उन्होंने सातवीं कक्षा तक कि पढ़ाई गांव के सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय से की. उस समय उन्हें इंग्लिश की वजह से बहुत दिक्कत होती थी. खासतौर पर इंग्लिश बोलने में. उन्हें लगता था कि इंग्लिश की वजह से ही गांव के बच्चे शहर के बच्चों से पिछड़ जाते हैं. लेकिन शिशु मंदिर में उन्हें अच्छे संस्कार जरूर मिले.
फिर इंग्लिश को ही बनाया हथियार
वर्ष 2008 में उनका दाखिला देहरादून के इंडियन मिलिट्री स्कूल (IMS) में हो गया. यहां के माहौल में शुरुआत में थोड़ी समस्या जरूर हुई, लेकिन फिर उनकी इंग्लिश और अनुशासन दोनों सुधरते चले गए. पर्सनालिटी डेवेलोप हुई. घुड़सवारी, माउंटेनियरिंग और राफ्टिंग जैसे खेलों में कई मेडल जीते. इसके बाद ●बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से फिजिक्स में ग्रेजुएशन की।
साल 2011 ने बदल दी ज़िंदगी
बीएचयू से लौटकर उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के हिन्दू कॉलेज में एमएससी की पढ़ाई शुरू की. 2011 में वे एमएससी फाइनल में दो विषयों में फेल (failure) हो गए. उन्हें बहुत धक्का लगा और उन्होंने एमएससी की पढ़ाई वहीं छोड़ दी. कुछ समय तक काफी-सोच विचार किया. तब उन्हें लगा कि ये फील्ड उनके लिए है ही नहीं. तब उन्होंने आईपीएस बनने का फैसला किया और इसकी तैयारी शुरू कर दी. वे कहते हैं कि अगर आप किसी फील्ड में फेल हो जाते हैं तो दूसरी फील्ड में बहुत अच्छा कर सकते हैं.
●आरबीआई की नौकरी छोड़ी, आईपीएस जॉइन किया
अनुराग ने 2013 में आईपीएस मेंस की परीक्षा दी। तभी उनका सिलेक्शन रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) में मैनेजर पद पर हो गया. उन्होंने नौकरी जॉइन भी कर ली. वे 8 महीने तक कानपुर में पोस्टेड रहे. इसके बाद पहले ही प्रयास में उनका आईपीएस में सिलेक्शन हो गया. उनकी रैंक 163 रही. तब वे बैंक की नौकरी छोड़कर आईपीएस की ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद स्थित नेशनल पुलिस एकेडेमी (NPA) चले गए। एक साल की ट्रेनिंग के बाद ग़ाज़ियाबाद में अंडर ट्रेनिंग पोस्टेड हुए.
●पुलिस अधीक्षक आज़मगढ़ का तबादला,अनुराग आर्य होंगे नए SP

आजमगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह का तबादला आगरा जनपद पर इसी पद पर हुआ है। शासन की तरफ से शनिवार की शाम को जारी तबादले की सूची में आजमगढ़ समेत 7 जिलों के एसपी को इधर-उधर किया गया है। कुल 10 आईपीएस का ट्रांसफर किया गया है। बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य को आजमगढ़ पुलिस की कमान दे दी गई है। अनुराग आर्या इससे पूर्व मऊ जनपद में भी एसपी के तौर पर रह चुके हैं। तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी के रूप में इनको जाना जाता है। सुधीर कुमार सिंह बतौर एसएसपी आजमगढ़ में अगस्त 2019 से कार्यरत थे।
आईपीएस अनुराग आर्य की तैनाती ट्रेनी अफसर के तौर पर सन् 2015 में जनपद गाजियाबाद में हुई थी।

अनुराग आर्य की गिनती उत्तर प्रदेश के तेज तर्रार अफसरों में होती है। मऊ के कुख्यात गैंगस्टर मुख्तार अंसारी पर शिकंजा कसने का श्रेय इस बहादुर आईपीएस अधिकारी को जाता है। अनुराग आर्य ने सिर्फ मुख्तार अंसारी ही नहीं बल्कि इस गैंग के लगभग सभी गुर्गों को भी घुटने पर लाने का काम किया है। अनुराग आर्य की अगुवाई में पुलिस ने मुख्तार अंसारी के किलर गैंग का एक तरह से सफाया कर दिया है। असलहों के लाइसेंस निरस्त किए जाने की कार्रवाई हुई और गुंडा एक्ट भी लगा।
वहीं दूसरी ओर इनके आर्थिक मददगारों की संपत्तियां भी जब्त की गई थीं। पुलिस ने मऊ में मुख्तार अंसारी गिरोह के नजदीकियों की करोड़ों की चल-अचल संपत्ति जब्त की थी। इसके अलावा पुलिस ने मुख्तार अंसारी के मछली कारोबार को भी तहस-नहस कर दिया है। आपको बता दें कि अनुराग आर्य ने साल 2019 में मऊ की कमान संभाली थी। इसके पहले उनकी नियुक्ति कानपुर इस्ट, अमेठी और बलरामपुर जिले में रही है। आम जनता के बीच अनुराग आर्य की छवि ईमानदार और कर्मठ पुलिस अधिकारी की है।
सभी जानते हैं कि दशकों से मऊ की गिनती पूर्वांचल के एक संवेदनशील जिले के तौर पर होती रही। कहा जाता रहा है कि मुख्तार अंसारी जेल के बाहर हो या अंदर मऊ में उनके नाम का सिक्का चलता है। ढाई दशक के दौरान मुख्तार ने मऊ में ऐसा चक्रव्यूह बना लिया है, जिसे तोड़ पाना बेहद कठिन माना जाता रहा है।
अनुराग आर्य के नेतृत्व में पूर्वांचल के वाराणसी, मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, चंदौली और बलिया से लेकर राजधानी तक में मुख्तार से सीधे और परोक्ष रूप से जुड़े करोड़ों के अवैध कारोबार और संपत्तियों को जब्त कराया गया। बड़ी तादात में मुख्तार के करीबियों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। गिरोह से जुड़े लोगों की हिस्ट्रीशीट खोलने के साथ अपराधियों को जेल भेजा गया। गाजीपुर में मुख्तार के परिजनों एवं करीबियों के 40 से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस निरस्त किए गए हैं और गैंग के सदस्यों और लाखों-करोड़ों की संपत्ति जब्त की गई है।
आईपीएस अनुराग आर्य की तैनाती ट्रेनी अफसर के तौर पर सन् 2015 में जनपद गाजियाबाद में हुई थी।
अनुराग आर्य की गिनती उत्तर प्रदेश के तेज तर्रार अफसरों में होती है। मऊ के कुख्यात गैंगस्टर मुख्तार अंसारी पर शिकंजा कसने का श्रेय इस बहादुर आईपीएस अधिकारी को जाता है। अनुराग आर्य ने सिर्फ मुख्तार अंसारी ही नहीं बल्कि इस गैंग के लगभग सभी गुर्गों को भी घुटने पर लाने का काम किया है। अनुराग आर्य की अगुवाई में पुलिस ने मुख्तार अंसारी के किलर गैंग का एक तरह से सफाया कर दिया है। असलहों के लाइसेंस निरस्त किए जाने की कार्रवाई हुई और गुंडा एक्ट भी लगा।
वहीं दूसरी ओर इनके आर्थिक मददगारों की संपत्तियां भी जब्त की गई थीं। पुलिस ने मऊ में मुख्तार अंसारी गिरोह के नजदीकियों की करोड़ों की चल-अचल संपत्ति जब्त की थी। इसके अलावा पुलिस ने मुख्तार अंसारी के मछली कारोबार को भी तहस-नहस कर दिया है। आपको बता दें कि अनुराग आर्य ने साल 2019 में मऊ की कमान संभाली थी। इसके पहले उनकी नियुक्ति कानपुर इस्ट, अमेठी और बलरामपुर जिले में रही है। आम जनता के बीच अनुराग आर्य की छवि ईमानदार और कर्मठ पुलिस अधिकारी की है।
सभी जानते हैं कि दशकों से मऊ की गिनती पूर्वांचल के एक संवेदनशील जिले के तौर पर होती रही। कहा जाता रहा है कि मुख्तार अंसारी जेल के बाहर हो या अंदर मऊ में उनके नाम का सिक्का चलता है। ढाई दशक के दौरान मुख्तार ने मऊ में ऐसा चक्रव्यूह बना लिया है, जिसे तोड़ पाना बेहद कठिन माना जाता रहा है।
अनुराग आर्य के नेतृत्व में पूर्वांचल के वाराणसी, मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, चंदौली और बलिया से लेकर राजधानी तक में मुख्तार से सीधे और परोक्ष रूप से जुड़े करोड़ों के अवैध कारोबार और संपत्तियों को जब्त कराया गया। बड़ी तादात में मुख्तार के करीबियों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। गिरोह से जुड़े लोगों की हिस्ट्रीशीट खोलने के साथ अपराधियों को जेल भेजा गया। गाजीपुर में मुख्तार के परिजनों एवं करीबियों के 40 से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस निरस्त किए गए हैं और गैंग के सदस्यों और लाखों-करोड़ों की संपत्ति जब्त की गई है।GGS NEWS 24


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