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प्रख्यात शायर ,पूर्व विधायक अमजद अली गजनबी की मनाई गई 24 वीं पुण्यतिथि

फरिहा/मुहम्मदपुर, आज़मगढ़ ।क्षेत्र के अमजद अली इंटर कालेज मोहम्मदपुर सदर आजमगढ़ में प्रख्यात शायर ,पूर्व विधायक एवं कॉलेज के संस्थापक स्व.अमजद अली गजनबी एडवोकेट की 24 वीं पुण्यतिथि मनाई गई। कार्यक्रम का शुरुआत तिलावते कलाम पाक से किया गया ।इस अवसर पर छात्र छात्राओं ने कुरानख्वानी की।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ जमाल अमजद ने कहा कि व्यक्ति को मोहब्बत से जीता जा सकता है यह वर्ष इस विद्यालय के लिए अत्यंत ही दुखदाई था इसी साल विद्यालय के अध्यक्ष डॉ असअदऔर प्रबंधक मोहम्मद अजफर गजनबी हमारे बीच नहीं रहे उनके बताए हुए रास्ते पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है अमजद साहब एक नेक दिल इंसान थे उनकी नजर में सब एक थे। डॉक्टर कलीम अमजद ने कहा कि अमजद को ढूंढना वह मिलेगा वहीं कहीं ईल्मों अमल की जब कोई दुनिया दिखाई दे। इस दौरान एडवोकेट अदील अमजद ने कहा की अमजद साहब के बताए हुए रास्ते पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।यह अमजद अली गजनबी का वतन है, यहां मुत मईन शेख खुश ब्राह्मण है ।जनाब नूरुद्दीन ने कहा कि अमजद साहब अजीम शख्सियत के मालिक थे एक बार उन्होंने जाड़े में ठिठुरते हुए एक रिक्शे वाले को अपनी शेरवानी उतार कर के दे दी ।जो उनकी रहम दिली का एक सच्चा सबूत है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ओम प्रकाश मिश्रा ने कहा के यह ऐसा चमन है जहां हर तरह के फूल खिलते हैं ।इंसान तो मर जाता है लेकिन उसके कार्य पुरी जिंदगी लोगों के बीच याद रहते हैं ।जनाब शाहिद जमाल ने कहा कि वहीं जाओ जहां हर दर्द की दवा हर वक्त मिलती है।वो देखो सामने अमजद का घर मालूम होता है । मोहम्मद आजम ने कहा के इंसान को खिदमत इंसान से आलम में बुलंदी मिलती है ,इंशा के बुलंदी के सामान तस्वीह नहीं जिन्नार नहीं ।जनाब सोहराब में कहां के अमजद साहब ऐसे नेक दिल इन्सान थे ,जो 19 40 में आजमगढ़ के दक्षिण में स्थित मोहम्मदपुर गांव में एक मक्तब की नींव डाली जो अनंत काल तक उनके नाम को रोशन करता हुआ आज इंटर कॉलेज के रूप में विद्यमान है ।यूँ तोदुनिया में कोई रहने के लिए आता नहीं,लेकिन जैसे तुम जाते हो वैसेतो कोई जाता नही। एजाज अहमद ने अमजद साहब की खूबियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खाक़ सारों में रहा खाक सारोन की तरह ,ज़र परस्तों में चला अमजदतो सहाना चला ।इस अवसर पर लुकमान अहमद ने अमजद साहब के जीवन के बारे में कहा की वे बावसूल आदमी थे ,उनका कहना था कि अगर कोई चश्मा पानी देना बंद कर दे तो वह एक नाले की शक्ल अख्तियार कर लेगा। इसलिए व्यक्ति के अंदर माफ कर देना या माफी मांग लेना होना चाहिए। इस अवसर पर फहीम रहमानी ,जमीर अहमद ,गुलाम सुभानी, एजाज अहमद, नूरुद्दीन ,जफर आलम ,अली शब्बर ,फहीम अहमद लालजीत यादव, मानिकचंद यादव, ओपी मिश्रा ,विवेक कुमार, विपुल श्रीवास्तव मोहम्मद तारिक ,फरगाम, मोहम्मद आजम ,राम दरस ,मिठाई लाल यादव, आदि लोग मौजूद थे ।कार्यक्रम का संचालन आलोक कुमार श्रीवास्तव ने किया।


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