एनटीपीसी टांडा में तीसरे दिन भी ठप रहीं चारों इकाइयां:अंबेडकरनगर
अंबेडकरनगर। कोयला संकट के चलते एनटीपीसी टांडा संयंत्र में तीसरे दिन शनिवार को भी फेज-1 की सभी चार इकाइयों से बिजली उत्पादन ठप रहा। नतीजा यह है कि 440 मेगावाट क्षमता की इन चार यूनिटों से बिजली उत्पादन कर उसकी आपूर्ति बाहर नहीं हो पाई। उधर, 1320 मेगावाट क्षमता की दो नई इकाइयों से भी पूरी क्षमता की बजाय कोयला संकट के चलते सिर्फ 63 प्रतिशत उत्पादन हो पा रहा है। एनटीपीसी के स्थानीय अधिकारी व कर्मचारी उपलब्ध संसाधनों में बेहतर आपूर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोयले का संकट उनके लिए आड़े आ रहा है।
देश में चल रहे कोयला संकट ने एनटीपीसी टांडा के विद्युत उत्पादन केंद्र को अभूतपूर्व चोट दी है। कोयले की कमी के चलते यहां क्षमता के अनुरूप बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि स्थिति को नियंत्रित कर पाने में स्थानीय अधिकारी व कर्मचारी भी असहाय हो चुके हैं। कोयला संकट के बीच पहले तो किसी तरह कुल 1760 मेगावाट की अलग-अलग इकाइयों से बिजली उत्पादन जारी रखने का भरसक प्रयास हुआ, लेकिन इसे जारी नहीं रखा जा सका। मंगलवार को जहां कुल 220 मेगावाट की दो यूनिट से बिजली उत्पादन ठप हो गया, वहीं बुधवार देर रात 220 मेगावाट की दो अन्य इकाइयों से भी बिजली उत्पादन कोयले के अभाव में रोक देना पड़ा। ऐसे में बुधवार देर रात से फेज-1 की सभी चार यूनिटों से बिजली का उत्पादन रुक गया।
इस बीच शनिवार को तीसरे दिन भी कोयला संकट के चलते कुल 440 मेगावाट की चार इकाइयों से बिजली उत्पादन का कार्य नहीं हो पाया। इन चारों इकाइयों को ऊर्जीकृत बनाए रखने भर का काम हो रहा है। इन चार इकाइयों से बिक्री के लिए बिजली उत्पादन का कार्य शनिवार को भी ठप पड़ा रहा। हालात यह हैं कि अभी अगले एक-दो दिन भी इन सभी यूनिटों के चल पाने की उम्मीद नहीं है। उधर, 660-660 मेगावाट की जो दो नई इकाइयां स्थापित हैं, उनका भी हाल कोयला संकट के चलते ठीक नहीं है। इन दोनों इकाइयों से बिजली का उत्पादन पूरी क्षमता के अनुरूप नहीं हो पा रहा है। कोयले की कमी ने इतना जबरदस्त असर डाला है कि फेज-2 में 1320 मेगावाट की कुल क्षमता के सापेक्ष महज 63 प्रतिशत बिजली का उत्पादन हो पा रहा है।
एनटीपीसी अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में कोयले की आपूर्ति बढ़ेगी, तो इन दोनों इकाइयों में बिजली का उत्पादन बढ़ सकेगा। 1320 मेगावाट की इन इकाइयों में बिजली का उत्पादन सामान्य हो जाने के बाद 440 मेगावाट की पुरानी इकाइयों से भी बिजली का उत्पादन शुरू किए जाने की तरफ ध्यान दिया जा सकेगा। ऐसा कब तक हो पाएगा, यह समझ पाने की स्थिति में खुद एनटीपीसी के अधिकारी व कर्मचारी नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक में कोयले की आपूर्ति व सुचारु उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता की स्थिति है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने जताई चिंता
एनटीपीसी टांडा में बिजली उत्पादन संकट को लेकर खबर सिर्फ अमर उजाला की ओर से बाहर लाए जाने पर जहां नागरिकों ने समाचार पत्र के प्रयासों की सराहना की है, तो वहीं हालात पर चिंता जताई है। एक नागरिक ने कहा कि सरकार को समय रहते प्रयास सुनिश्चित करना चाहिए था, तो वहीं एक अन्य यूजर का कहना था कि निजीकरण की कोशिशों के चलते यह सब हो रहा है। एक उपभोक्ता ने चिंता जताई कि कोयला संकट के चलते एक-एक कर अलग-अलग यूनिट से उत्पादन ठप होता रहेगा, तो इसका ज्यादा असर नागरिकों को मिलने वाली बिजली पर पड़ेगा। उपभोक्ताओं का आमतौर पर कहना था कि जनहित की ऐसी खबर सिर्फ अमर उजाला ही खोजी पत्रकारिता के जरिये बाहर ला सकता है। उसने फिर से अपनी भूमिका को सार्थक किया है। ऐसी मुहिम व खबरों से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूती मिलती है।
स्थिति जल्द सामान्य होने की उम्मीद
एनटीपीसी टांडा के अनुसार केंद्रीय ऊर्जा व कोयला मंत्रालय के अलावा एनटीपीसी का केंद्रीय कार्यालय लगातार अपनी प्राथमिकता वाली टांडा परियोजना के लिए बेहतर प्रयास कर रहा है। जनसंपर्क अधिकारी शिखा प्रसून ने बताया कि एनटीपीसी का टांडा प्रबंधन संयंत्र को सुचारु रूप से चलाने व पर्याप्त उत्पादन करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है। हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है।
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