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महात्मा गांधी ने अहिंसा का पहला प्रयोग राजनीति में किया : मुनि सिद्ध प्रज्ञ

कांकरोली दिनांक 3 अक्टूबर 2021 : महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवृती मुनि श्री संजय कुमार ,मुनि श्री प्रकाश कुमार एवं मुनि श्री सिद्ध प्रज्ञ के सानिध्य में अनुव्रत उद्बोधन सप्ताह का समापन हुआ। सप्ताह के अंतिम दिन अहिंसा दिवस के रूप में बोलते हुए मुनि सिद्ध प्रज्ञ ने कहा हिंसा का मूल कारण है रोटी का अभाव, आवेश का प्रभाव एवं निषेधात्मक सोच। अहिंसा का पहला प्रयोग रसोईघर से शुरू करना चाहिए । महात्मा गांधी ने अपने जीवन को जो अहिंसा के माध्यम से आगे बढ़ाया उसमें उनकी माताजी जो जन्म से जैन थी का बड़ा योगदान रहा ।राजनीति के क्षेत्र में अहिंसा का पहला प्रयोग महात्मा गांधी जी ने किया। संचय जैन को मोहनलाल जैन की प्रतिकृति के रूप में देखता हूं।
उद्बोधन प्रदान करते हुए मुनि श्री संजय कुमार ने कहा हिंसा तीन प्रकार से होती है आरंभ जा संकल्प झा एवं विरोध जा हमें संकल्प और विरोध जन हिंसा से जरूर बचना चाहिए जो वीरो का वीर होता है वहीं अहिंसक होता है ऐसा व्यक्ति कायर नहीं होता है शूरवीर होता है जब तक व्यक्ति जीवन को नहीं बदलता तब तक उसके जीवन में अहिंसा नहीं आती।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय अनुविभा के अध्यक्ष संजय जैन ने कहा अनु व्रत जहां एक और इंसान को इंसान बनाता है वहीं अनुव्रत आंदोलन के माध्यम से आचार्य तुलसी ने इंसान को महान बनाने की कोशिश की। यह हमारा सौभाग्य है की अनु विभा का मुख्य कार्यालय राजसमंद में है यहां से उठने वाली आवाज पूरे राजस्थान में पहुंच जाती है अपेक्षा है हम अनुविभा की गतिविधियों को समझें और यथा समय यथासंभव अपने जीवन को इस अनुव्रत के कार्य को आगे बढ़ाने में लगाएं।
इस अवसर पर अनुविभा समिति के पूर्व अध्यक्ष ललित बडोला ने आभार ज्ञापन किया। राजकुमार दक समाजसेवी ने तथा शिक्षाविद कालू हसन व कुंभलगढ़ से समागत, कैलाश सामोता तथा तेरापंथ सभा के अध्यक्ष प्रकाश सोनी एवं मंत्री हिम्मत कोठारी ने प्रासंगिक विचार व्यक्त किए कार्यक्रम का मंगलाचरण राजगढ़ की श्रीमती साधना संचेती ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन अनूविभा सहमंत्री श्री जगजीवन चोरड़िया ने किया। इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल कांकरोली को भीलवाड़ा में अखिल भारतीय महिला मण्डल के अधिवेशन में पिछले कार्यकाल के लिए सांत्वना पुरस्कार से सम्मान किया गया। वहां पर मंजू दक और इंद्रा पगारिया ने अधिवेशन में भाग लिया था । अनुव्रत समिति राजसमंद के पदाधिकारी भी उपस्थित थे।


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