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लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन में बनेगा इतिहास, पहली बार चारबाग रेलवे स्टेशन में प्रेसिडेंशियल ट्रेन आएगी

लखनऊ : आगामी सोमवार का दिन राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के लिए इतिहास में दर्ज होने जा रहा है दरअसल सोमवार को पहली बार चारबाग रेलवे स्टेशन में प्रेसिडेंशियल ट्रेन आएगी। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस खास ट्रेन से लखनऊ पहुंचेंगे उनके स्वागत के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल स्टेशन पर मौजूद रहेंगे.इस दौरान स्टेशन का मेन एंट्री गेट करीब 5 घंटे तक बंद रहेगा। उस दिन सभी ट्रेनों को दूसरे प्लेटफार्म पर शिफ्ट किया जाएगा जबकि यात्री आने-जाने के लिए पार्सल घर वाले रास्ते का इस्तेमाल करेंगे।


राज्यपाल और सीएम रहेंगे मौजूद
राष्ट्रपति के स्वागत के लिए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चारबाग रेलवे स्टेशन पर मौजूद रहेंगे। राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए पुलिस-प्रशासन सतर्क है और तैयारियां पूरी कर ली गई है। सेना की खुफिया इकाई को भी अलर्ट कर दिया गया है। चारबाग रेलवे स्टेशन के आसपास की हर गतिविधि पर अफसर पैनी नजर रख रहे हैं।

कैसी होती है प्रेसिडेंशियल ट्रेन
प्रेसिडेंशियल ट्रेन कई खासियतों से भरी हुई है. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि प्रेसिडेंशियल ट्रेन में 2 कोच होते हैं। ट्रेन की खिड़कियों पर बुलेटप्रूफ शीशे लगे हैं। जीपीआरएस सिस्टम से लैस ट्रेन में सेटेलाइट आधारित कम्युनिकेशन प्रणाली और पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगा हुआ है। ट्रेन में एक डाइनिंग रूम, विजिटिंग रूम, लाउंज और कॉन्फ्रेंस रूम है।

अन्य ट्रेनों को अन्य प्लेटफॉर्म से भेजा जाएगा
सोमवार को राष्ट्रपति के प्रेसिडेंशियल ट्रेन से लखनऊ आगमन के मद्देनजर सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे यानि 5 घण्टे तक प्लेटफार्म नंबर 1 से 3 तक किसी भी ट्रेन की आवाजाही नहीं होगी। इस दौरान अन्य ट्रेनों को प्लेटफार्म नंबर 4, 5, 6 और 7 से भेजा जाएगा। रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता कर ली गई है। लखनऊ आने वाले हर यात्री की जांच की जा रही है।

राष्ट्रपतियों ने 87 बार प्रेसिडेंशियल ट्रेन के सैलून में की है यात्रा
प्रेसिडेंशियल ट्रेन में अब तक अलग-अलग राष्ट्रपति 87 बार यात्रा कर चुके हैं। 1950 में पहली बार प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने प्रेसिडेंशियल ट्रेन के खास सैलून में यात्रा की थी। डॉ. राजेंद्र प्रसाद दिल्ली से कुरुक्षेत्र गए थे। उनके बाद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. नीलम संजीवा रेड्डी ने भी प्रेसिडेंशियल ट्रेन में सफर किया था। इस ट्रेन का इस्तेमाल 1960 से 1970 तक कई बार हुआ। इसके बाद वर्ष 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने प्रेसिडेंशियल ट्रेन से बिहार की यात्रा की थी। प्रेसिडेंशियल ट्रेन में सबसे पहले क्वीन विक्टोरिया ने यात्रा की थी।

प्रेसिडेंशियल ट्रेन में सोने की थाली में परोसा जाता है खाना
प्रेसिडेंशियल ट्रेन में यात्रियों को सोने की थाली में खाना परोसा जाता है। इस ट्रेन में फाइव स्टार होटल की सारी सुविधाएं हैं। ट्रेन में महाराजा एक्सप्रेस की बोगियां लगती हैं जिनका न्यूनतम किराया डेढ़ लाख और अधिकतम किराया 15 लाख रुपए है। इस ट्रेन को सेवन स्टार लग्जरी अवार्ड भी मिल चुका है। तमाम सुविधाओं के अलावा ट्रेन में 2 रेस्टोरेंट भी होते हैं।

राष्ट्रपति को तोहफे में रेवड़ियां देगा रेल प्रशासन
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को रेल प्रशासन लखनऊ की मशहूर रेवड़ियां तोहफे में देने की तैयारी कर रहा है। रेलवे अधिकारियों ने बताया की राष्ट्रपति का प्रेसिडेंशियल ट्रेन से लखनऊ आना एक खास मौका है जिसे यादगार बनाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी जा रही। राष्ट्रपति को लखनऊ की मशहूर रेवड़ियां तोहफे में देने के लिए अधिकारियों से अनुमति मांगी गई है।


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