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पत्रकारो के साथ गलत व्यवहार निन्दनीय

योगी सरकार भले ही बार-बार दावा करती है पत्रकार को धमकी देने वाले 24 घंटा के अंदर कार्रवाई या कोई भी अधिकारी कर्मचारी पत्रकार को पीड़ित किया तो उसके ऊपर भी कार्यवाही योगी सरकार का दावा केवल कहने के लिए है दिखावा है ढोंग है क्योंकि उनके ही कर्मचारी पत्रकारों को पीड़ित कर रहे हैं आए दिन ऐसी घटनाएं आती रहती है अभी कुछ दिन पहले पत्रकार आनंद वर्मा को थानाध्यक्ष हसवर ने खुलेआम चैलेंज दिया तुमको फर्जी मुकदमा में फसा देंगे और हाल में 2 दिन पहले पत्रकार मोहम्मद रिजवान का जो पुलिस जबरदस्ती थाने में बैठाया उनके पत्रकार साथी मुलाकात करना चाहे तो खाकी की हनक पत्रकार को पत्रकार से मिलने नहीं दिया जब यह मामला मीडिया में चला थानाध्यक्ष हसवर, क्षेत्राधिकारी टांडा ने कार्यवाही करने की बात कही लेकिन 48 घंटे बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई कहां गया योगी सरकार का दावा कहां गया सुप्रीम कोर्ट का आदेश यह केवल कागजी है या हकीकत सबके सामने है क्योंकि 24 घंटा तो दूर 48 घंटा में भी कार्रवाई नहीं हुई ।

जनपद में काम कर रहे पत्रकारों की रिपोर्टिंग अधिकतर स्थानीय स्तर के भ्रष्टाचार, ग्राम पंचायत के फैसलों,ग्राम सभा की गतिविधियों, सड़कों की बदहाली, बिजली की समस्या, स्थानीय अधिकारियों, विधायको के कारनामों और स्थानीय आपराधिक मामलों आदि पर केंद्रित रहती है अक्सर यह देखा गया है कि ख़बरों से बड़े खुलासे होने की संभावनाएं होती हैं.जिससे कलम भ्रष्ट लोगो राह में बाधा उत्तपन्न कर देती है ।

पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ और पत्रकारों को लोकतंत्र का प्रहरी कहा जाता है जहां एक तरफ पत्रकारिता लोगों में जागरूकता पैदा करके लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है, तो वहीं लोकतंत्र के दूसरे स्तंभों यानी कार्यपालिका और न्यायपालिका पर भी नज़र रखता है. अंबेडकरनगर जनपद के पत्रकारों को अपना काम ईमानदारी से करने का जख्म की शक्ल में मिले, तो इससे न सिर्फ देश की कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में आ जाती है बल्कि यह लोकतंत्र के लिए भी ठीक नहीं है ।


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