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ईद उल फितर की नमाज पढ़ने के लिए मेरी बारगाह में हाजिर लोग,कोविड गाइडलाइंस के तहत अदा किए ईद -ए-नमाज़

अतरौलिया आजमगढ़ जहां मुल्क के बेशतर हिस्सों में ईद उल फितर की नमाज सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अदा की गई ,वहीं कस्बा अतरौलिया में हुकूमत की नई गाइडलाइन के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए महदूद तादाद में मौलाना मोहम्मद अब्दुल बारी नईमी पेश इमाम जामा मस्जिद अतरौलिया की इक़तेदा में जामा मस्जिद मैं ईद उल फितर की नमाज अदा की गई। इस वक्त पूरी दुनिया ए इंसानियत मुश्किल तरीन दौर से गुजर रही है। कोरोनावायरस ने हर किसी की जिंदगी को मुश्किल तरीन कर दिया है, मुल्क के मुख्तलिफ तबकात से संबंध रखने वाले लोगों की जिंदगियां कोरोनावायरस ने तबाह कर दी है । यही वजह है कि पूरा मुल्क बोहरानी कैफियत से दोचार है। ।ऐसे वक्त में ईद उल फितर का त्योहार हमारे लिए एक चुनौती रहा ।लेकिन मुसलमानों ने दानिशमंदी से काम लेते हुए ईद उल फितर की नमाज सादगी संजीदगी और महदूद संख्या में अदा करके अपने देश और कौम की खुशहाली के लिए दुआएं मांगी ।इस अवसर पर उन सभी लोगों के लिए विशेष तौर पर दुआएं की गईं , जो कोरोनावायरस की दूसरी लहर का शिकार होकर दुनिया से रुखसत हो गए। या जो लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। ईद खुशी का दिन होता है। इसमें अल्लाह के एहसानों कर्म को याद करके उसका शुक्र अदा किया जाता है। ईद का दिन इजतेमाई इबादत व शादमानी और अल्लाह की खुशी हासिल करने का दिन है ।इंसानी फितरत है कि कौम के सारे बड़े और छोटे जब किसी खास मकसद के लिए अपने-अपने घरों से निकलकर बड़ी जगह जमा होते हैं। तो फितरी तौर पर उनके अंदर खुशी के जज्बात पैदा होते है। वह दिन उनके लिए जिंदगी से भरपूर दिन बन जाता है। ईद का दिन भी उम्मते मोहम्मदिया के लिए ऐसा ही दिन है। रमजान का महीना ,रोजा, नमाज़, तरावीह ,तिलावत ए कुरान और सदकात, जकात और दूसरे नेक कामों में गुजारने पर अल्लाह ताला ने इनाम के तौर पर ईद का त्यौहार आता फरमाया। जैसे एक मजदूर मेहनत मजदूरी करने के बाद उजरत का हकदार बनता है ।इसी तरह जो लोग रमजान में दिन और रात तरह-तरह की इबादतों में गुजारते हैं ,वह अल्लाह के इनआम के मुस्तहिक़ बनते हैं। रमजान के महीने में जहां रहमतों के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। दोज़ख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं शैतानों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है, वहीं नफली इबादत करने पर फरज़ के बराबर सवाब दिया जाता है। और एक फर्ज की अदायगी पर 70 फर्ज का सवाब दिया जाता है। ईद मजदूरी मिलने का दिन है मुसलमानों ने अल्लाह ताला के हुक्म पर एक महीना रोजे रखे ,और रातों में नमाज ए तरावीह पढ़ी ,खाने पीने के के समय को तब्दील कीया । भूख और प्यास की शिद्दत बर्दाश्त की, अल्लाह के रास्ते माल खर्च किया, और जहां तक हो सका झूठ ,गीबत, चुगल खोरी ,गुस्सा ,और तमाम तरह की बुराइयों से दूर रहने की ट्रेनिंग हासिल की ,अल्लाह ताला फरमाता है! मेरे बंदों ने मेरे हुकम पर एक महीना ट्रेनिंग की इसलिए आज के दिन मैंने उन तमाम लोगों को बखश दिया ,जो ईद उल फितर की नमाज पढ़ने के लिए मेरी बारगाह में हाजिर हुए।


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