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एक साथ जली पांच चिताएं, लोगों की चीत्कार से सहम गई श्मशान घाट की खामोशी

•आजमगढ़ के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर शनिवार देर रात हुए सड़क हादसे में हुई थी मौत
आजमगढ़-देवरिया। आजमगढ़ के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर शनिवार देर रात हुए सड़क हादसे में मौत की मुंह में समाए पांचों संबंधियों की चिता रविवार देर रात बड़हलगंज के मुक्तिधाम पर एक साथ जलीं। यह देख मौजूद लोगों की आंखें भर आईं। पीड़ित परिवार ने प्रशासन से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। हादसे के बाद परिवार के बचे लोगों की तबीयत भी बिगड़ गई है।
महुआडीह गांव के धरमपुर टोला के रहने वाले कैलाश (37), बोलेरो गाड़ी से पत्नी नीतू देवी (33), बगल की रहने वाली पट्टीदार गुड्डी (45), पत्नी छोटेलाल के साथ अपनी भतीजी रानी (11) और पत्नी का इलाज कराने के लिए 28 अप्रैल की सुबह घर से लखनऊ के लिए निकले। बड़हलगंज पहुंचने के बाद बड़हलगंज थाना क्षेत्र के सिधुआपार लक्ष्मी गांव के अपने अनिल (46) और उनकी पत्नी किरण देवी (42) को भी साथ ले लिए।
लखनऊ पहुंचकर इलाज कराकर घर लौटते समय शनिवार देर रात आजमगढ़ पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर अहरौला क्षेत्र के स्टोन 213 के पास बांस लादकर आगे चल रही ट्रैक्टर-ट्रॉली में कैलाश की गाड़ी पीछे से टकरा गई। टक्कर इतनी तेज हुई कि बोलरो के परखचे उड़ गए। कैलाश, नीतू, रानी, गुड्डी और दुक्खी की मौके पर ही मौत हो गई। किरण देवी भी गंभीर रूप से घायल हो गईं। आजमगढ़ के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। वह खतरे से बाहर बताई जा रहीं हैं।
कैलाश उनकी पत्नी नीतू, भतीजी रानी, पट्टीदारी की गुड्डी देवी और साढू अनिल की चिताएं रविवार देर रात बड़हलगंज के मुक्तिधाम पर एक साथ जलीं। चिताओं में आग लगते ही वहां मौजूद रिश्तेदारों और गांव वालों के मुंह से निकले चीत्कार भी थमने का नाम नहीं ले रहे थे। एक मुंह से यही निकल रहा था कि भगवान की नियति को भला कौन जान सकता है। इलाज कराने गए अपने सगे संबंधियों के साथ इस तरह हंसता हुआ गया परिवार मौत के मुंह में समा जाएगा।
महुआडीह के धरमपुर गांव में कैलाश, नीतू, रानी और गुड्डी का शव आजमगढ़ में पोस्टमार्टम के बाद रात 11ः40 बजे दो एंबुलेंस से गांव पहुंचा। शवों के नीचे उतारते ही अचानक दिल को दहला देने वाली करुण क्रंदन मानो क्षेत्र के कई गावों तक रात के सन्नाटे को चीरते हुए पहुंच गई। मौके पर कई गांव के लोगों की पहले से ही भीड़ लगी थी। कैलाश और गुड्डी का परिवार कमाता खाता परिवार है। कैलाश मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चों व परिवार को बहुत मुश्किल से दो वक्त की रोटी उपलब्ध करा पा रहा था। उसकी मौत के बाद अब जीविका की समस्या उत्पन्न हो गई है। अपनी बेटी रानी को खो चुके बड़े भाई विनोद ने भाई सहित गुड्डी के परिवार को भी प्रशासन से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। कैलाश की मां तारा देवी की तबीयत देर रात बिगड़ गई। परिजन महुआडीह चौराहा पर ले जाकर उनका इलाज कराए। वह बेटा, बहू, नतिनी की मौत से गहरे सदमें में हैं।


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