Latest News / ताज़ातरीन खबरें

अपर मुख्य सचिव, बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में कार्यशाला का हुआ आयोजन

लखनऊ: 18 अप्रैल, अपर मुख्य सचिव, बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद लखनऊ द्वारा नवीन शिक्षा नीति 2020 के सापेक्ष्य पाठ्यक्रम का पुनरीक्षण करने की दृष्टि से केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, गोमती नगर, लखनऊ में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला के प्रतिभागियों द्वारा विचार व्यक्त करने के बाद अपर मुख्य सचिव, दीपक कुमार ने कहा कि संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों के कक्षा-06 में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए तीन माह का ब्रिज कोर्स रेडीनेस प्रोग्राम के रूप में तय किये जाने की आवश्यकता हैं। विद्यालयों में स्मार्ट कक्षाओं की व्यवस्था उपयोगी होगी, इन कक्षाओं में आडियो-विजुअल सुविधाएं शासन की ओर से उपलब्ध करायी जा सकती हैं।
अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार द्वारा निर्णय लिया गया कि दो माह में तीन बैठके करके पाठ्यक्रम एवं पाठ्यवस्तु को अन्तिम रूप दिया जायेगा। एतदर्थ प्रो० सर्वनारायण झा निदेशक, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति बनायी जायेगी जो 15 दिन में एक बार कार्यशाला का आयोजन कर अन्तिम रूपरेखा का निर्धारण करेंगी।
विशेष सचिव, माध्यमिक शिक्षा जी०एस० नवीन कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यदि भारत वर्ष की क्लासिकल भाषाओं का शिक्षण भी किया जाये तो अन्य प्रदेशों में जाकर रोजगार करने वाले छात्रों को सुविधा होगी।
कार्यशाला में निदेशक, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, गोमती नगर, लखनऊ प्रो० सर्वनारायण झा ने संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में संचालित प्रथमा से उत्तर मध्यमा स्तर तक के पाठ्यक्रम के संबध में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि दो बातों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी कि प्राचीन ज्ञान, परम्परा का संरक्षण, सम्प्रेषण एवं संवर्द्धन हो तथा पाठ्यक्रमों की आधुनिक समय में प्रासंगिकता बनी रहे एवं पाठ्यक्रम पूर्ण करने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति भी मिले।
निदेशक, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ प्रो० सर्वनारायण झा ने सुझाव दिया कि कार्यरत अध्यापकों के भाषायी कौशल को विकसित करने के लिए पुर्नः बौधात्मक प्रशिक्षण की आवश्यकता हैं जिसमें उनका प्रशिक्षण लिखित एवं मौखिक दोनो प्रकार से हो तथा उर्त्तीण होना अनिवार्य रखा जाये ताकि वह गुणवत्ता पूर्ण पठ्न-पाठन कर सकें।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद, लखनऊ के सचिव राधाकृष्ण तिवारी ने कार्यशाला के प्रतिभागियों को अवगत कराया कि कक्षा 06 में प्रवेश लेने वाले छात्रों का भाषाई आधार संस्कृत के क्षेत्र में कमजोर होने के कारण उन्हें कठिनाई होती हैं। सम्प्रति बोर्ड द्वारा प्रत्येक विषय के लिए पुस्तकों के रूप में विषय सामग्री की उपलब्धता पर्याप्त नही हैं। इसलिए कक्षा के अनुरूप निर्धारित अंश मोटे-मोटे से लेकर पुस्तक का रूप दिये जाने से छात्रों को पढ़ने, समझने व स्वःमूल्यांकन में सुविधा होगी।
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रो० राम किशोर त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शास्त्र शिक्षण को बहुत आधुनिक बनाने की आवश्यकता नही हैं अन्यथा सामान्यीकरण से मूल तत्व समाप्त होने की सम्भावना बढ़ जाएगी।
 शारदा संस्कृत महाविद्यालय, लखनऊ के प्राचार्य पंचानन्द झा ने इस बात पर बल दिया कि पाठ्यक्रम छात्रपरक एवं शास्त्रपरक रखने की आवश्यकता हैं । अंग्रेजी जैसे विषय को विद्यार्थियों के लिये ऐच्छिक रूप में रखा जाये तथा विद्यालयों में अध्यापको की कमी के लिये स्वीकृत पदों की संख्या बढाने की आवश्यकता हैं। यदि प्रथमा स्तर के पूर्व मध्यमा स्तर के एवं उत्तर मध्यमा स्तर के विद्यालयों के लिये स्वीकृत सभी पदों को विद्यालय के लिये स्वीकृत कर दिया जाये तो सभी विषयों के अध्यापक वहां उपलब्ध हो सकेंगे।
कार्यशाला में 30 विशेषज्ञों ने प्रतिभाग कर अपने विचारो से लाभान्वित किया। उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद लखनऊ के सचिव राधाकृष्ण तिवारी के कृतज्ञता ज्ञापन के साथ कार्यशाला का समापन हुआ।


Leave a comment

Educations

Sports

Entertainment

Lucknow

Azamgarh