Education world / शिक्षा जगत

किसी भी साक्षात्कार में आत्मविश्वास के साथ संयम जरूरीः प्रोफेसर राजेश लाल मेहरा अध्यक्ष लोक सेवा आयोग एमपी

जौनपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति  के परिदृश्यमें प्रतियोगी परीक्षाओं की संभावना पर हुई संगोष्ठी जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट  सभागार में शनिवार को राष्ट्रीयशिक्षा नीति  के परिदृश्य में प्रतियोगी परीक्षाओं की संभावना विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता लोक सेवा आयोग मध्य प्रदेश के अध्यक्ष प्रोफेसर राजेश लाल मेहरा ने कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्रतियोगी परीक्षाओं की नीतिको सपोर्ट करती है। विद्यार्थी हमेशा अपनी सोच को सकारात्मक एवं संकल्प को शुभ रखें।

विद्यार्थियों को इंटरव्यू के दौरान औपचारिकताओं का पालन करते हुए यह ध्यान देना चाहिए कि, उनका व्यवहार बनावटी न हो। वर्तमान में विद्यार्थियों में धैर्य की कमी होती जा रही है। उन्होंने कहा कि, हमारी संस्कृति भरोसे की है। अगर हम किसी का भरोसा जीत लेते हैं तो भले ही कामयाबी न मिले किंतु हमारे में एक बड़े व्यक्तित्व का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि, असफलता निराशा नहींसफलता का दूसरा मार्ग दिखाती है। उन्होंने प्रेमचंद के ईदगाह का जिक्र करते हुएकहा कि, साहित्य कैरियर निर्माण में भले ही सहायक नहीं हो लेकिन आपके अंदर संवेदना पैदा कर बड़ा जरूर बना देती है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के कई टिप्स दिए।

कार्यक्रम कीअध्यक्षता कर रहीं कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य ने कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षानीति जब भी बनी उस समय के परिवेश के हिसाब से बनी है। इस शिक्षा नीति में मातृभाषाऔर बुनियादी शिक्षा की मजबूती पर जोर दिया गया है ताकि उच्च शिक्षा तक इसकी दृढ़ता कायम रहे।  उन्होंने कहा कि, वर्तमान में प्रतियोगिता काफी बढ़ गयी है। ऐसे में लोक साहित्य, संस्कृति और राष्ट्रवाद के साथ यह शिक्षा नीति प्रतिभागियों के लिए काफी लाभप्रद है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सत्यप्रकाश पाल ने कहा कि, प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थी के तर्कशक्ति का परीक्षणकिया जाता है। इसमें विषय के साथ ही विद्यार्थी के धैर्य और संयम की भी परीक्षा होती है। विषय प्रवर्तन एवंकार्यक्रम की रूपरेखा आईक्यूएसी के समन्वयक प्रोफेसर मानस पांडेय ने प्रस्तुत किया। संचालन डॉ0 अनु त्यागी और धन्यवाद ज्ञापन  डॉ रमांशु प्रभाकर सिंह  ने किया। संगोष्ठी मेंसहायक अनुसंधान अधिकारी डा0 माधुरी यादव मेहरा, प्रोफेसर अविनाश पाथर्डीकर, प्रोफेसर अजयद्विवेदी, प्रोफेसर मिथिलेश सिंह, डॉ0 मनोज मिश्र, डॉ0 प्रमोद यादवा, डा0 रसिकेश, डॉ0 सुनील कुमार, डा0 जान्हवी श्रीवास्तव, डॉ0 मंगला प्रसाद, डॉ0 पुनीत धवन, डॉ0 द्विब्यंदु मिश्र, डॉ0 विनय वर्मा, अमित मिश्र, संस्कार श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।


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