तेरहवीं बहिष्कार कर श्रधांजलि सभा का आयोजन हजारों लोग सम्मिलित किये पुष्प अर्पित
आजमगढ़ अम्बारी से व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत तेरहवीं के प्रोग्राम का आयोजन एक पुरानी परंपरा है। मनुष्य अज्ञानता में तेरहवीं का आयोजन करता आ रहा है परन्तु 22वीं शदी में शिक्षित और जागरूक वर्ग तेरहवीं का बहिष्कार कर रहा है क्योंकि इसका मृत व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं होता है और न ही व्यक्ति को स्वर्ग और नर्क की किसी प्रकार की प्राप्ति होता है यह एक लोगों का भ्रम और सामाजिक अभिषाप है। तेरहवीं करने के चक्कर में कितने गरीब परिवार जमीन और जेवरात तक गिरवी रख देते हैं । ऐसे में आज सौरभ यादव ( मास्टर साहब ) ने तेरहवीं बहिष्कार कर अनूठी पहल की है। हजारों लोग उपस्थित हो कर प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किये। इसके पहले भी क्षेत्र में कई सम्मानित लोगों ने तेरहवीं जैसी कुप्रथा का बहिष्कार कर चुके हैं। ऐसी पहल से समाज को सीख लेनी चाहिए और तेरहवीं जैसी कुप्रथा से मुक्ति पा लेना चाहिए। राजस्थान सरकार ने तेरहवीं करने पर पूर्ण से प्रतिबंधित पहले से ही लगा चुकी है तो उत्तर प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व रक्षामन्त्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर तेरहवीं का बहिष्कार किया गया जबकि सैफई व आस पास के गांवों तेरहवीं नहीं मनाई जाती।
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