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जीवित्पुत्रिका व्रत- नहाय-खाय के साथ महिलाएं रखी निर्जला व्रत

अतरौलिया, आजमगढ़। आज रविवार को पड़ने वाले जीवित्पुत्रिका व्रत को लेकर आज शनिवार बाजारों में पूरी तरह से रौनक देखने को मिली, दुकानें पूरी तरह से सज चुकी है जहां जीवित्पुत्रिका व्रत को लेकर जमकर खरीदारी हो रही है। फल तथा चीनी से निर्मित मिठाइयों की दुकान पर सबसे अधिक भीड़ रही, वही नगर के केसरी चौक, बब्बर चौक, दुर्गा मंदिर, गोला बाजार, बरन चौक पर इस व्रत को लेकर सबसे अधिक भीड़ देखने को मिली। बता दे कि ब्रत में पारण के साथ ही अनुष्ठान का समापन होगा। इसके बाद मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा का निर्माण किया जाता है। फिर उस मूर्ति पर संतान के दीर्घ जीवन और आरोग्य के लिए रखा जाने वाला जीवित्पुत्रिका व्रत रविवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ होगा। इस अनुष्ठान के दूसरे दिन रविवार को महिलाएं निर्जला व्रत रखेगी। पंडित चंद्रेश जी महाराज ने बताया कि पूजा में जीमूतवाहन की कुशा से प्रतिमा बनाई जाती है। इसके बाद मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा का निर्माण किया जाता है। फिर उस मूर्ति पर धूप-दीप, चावल, पुष्प, सिंदूर आदि अर्पित किया जाता है। इस अवसर पर जिउतिया व्रत की कथा सुनी जाती है और संतान की लंबी आयु और कामयाबी की प्रार्थना की जाती है। उन्होंने कहा कि जितिया व्रत का उल्लेख महाभारत में मिलता है। दरअसल अश्वत्थामा ने बदला लेने के लिए उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को मारने के लिए ब्रह्नास्त्र का इस्तेमाल किया। उत्तरा के पुत्र का जन्म लेना जरूरी था। फिर भगवान श्रीकृष्ण ने उस बच्चे को गर्भ में ही दोबारा जीवन दिया। गर्भ में मृत्यु को प्राप्त कर फिर से जीवन मिलने के कारण उसका नाम जीवित पुत्रिका रखा गया। बाद में यह राजा परीक्षित के नाम से जाना गया। ब्रती महिलाएं पारण में व्रति भात, मरुआ की रोटी और नोनी का साग ग्रहण कर इस व्रत का समापन करेंगी। इधर जीवित्पुत्रिका व्रत को लेकर शनिवार को बाजारों में खरीदारी को लेकर महिलाओं की सबसे अधिक भीड़ देखी गई।


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