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लालकिले पर कोई झंडा फहरा कर चला गया, पुलिस उसे नही पकड़ा, शहनाज हुसैन ने कहा...

टीवी चैनल पर भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन से एंकर ने पूछा कि कोई शख्स लाल किले में तिरंगे की जगह अपना झंडा लगाकर चला गया। पुलिस अभी तक उसे खोज ही रही है। शाहनवाज का कहना था कि लाल किले की सुरक्षा का जिम्मा CISF के पास था। उनका इशारा था कि लाल किला प्रकरण के लिए दिल्ली पुलिस नहीं बल्कि CISF जिम्मेदार है। उनका कहना था कि किसान आंदोलन कभी भी शांतिपूर्ण नहीं था। जब एंकर ने पूछा कि 26 जनवरी से पहले कब हिंसा हुई थी, तब शाहनवाज ने कहा कि ट्रैक्टर रैली लोकतंत्र को कुचलने की साजिश थी। शाहनवाज ने कहा कि दीप सिद्धू दो महीने से किसान आंदोलन में बैठा था। उसके खिलाफ किसान नेताओं ने तब कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। शाहनवाज का कहना था कि जिस तरह से हमने सिचुएशन को कंट्रोल किया, वह सबसे अच्छा तरीका था। अगर लाशें गिर गई होती तो ये ही लोग लाशों पर राजनीति कर रहे होते।

ये लोग लाल किले पहुंचकर चाहते थे कि इतना बड़ा हंगामा हो कि पुलिस गोली चलाए और ये शहादत कहकर राजनीति करें: @ShahnawazBJP#Farmersprotest #हल्ला_बोल @anjanaomkashyap pic.twitter.com/NRcMTq8GKL

— AajTak (@aajtak) January 28, 2021
एक अन्य टीवी डिबेट में कांग्रेस नेता हरिशंकर गुप्ता से एंकर ने पूछा कि राहुल गांधी कह रहे हैं कि देश में आग लग जाती अगर किसान पूरे कानून को ढंग से समझ जाते। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, आप मेरी बात सुनिए, अपनी बात मत कहिए। लाल किले में वो लोग गए जो सरकार की तरफ से प्रायोजित थे।
गुप्ता का कहना था कि ये आंदोलन देश की आत्मा से जुड़ा है। उन्होंने दीप सिद्धू को लेकर सवाल उठाए तो एंकर ने कहा कि राहुल के बयान पर बोलिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि राहुल गाधी ने हिंसा का विरोध किया है। उसके बाद राहुल गांधी का बयान चलवाया गया तो कांग्रेस प्रवक्ता का कहना था कि पिछले दो महीने से टीवी और बीजेपी आंदोलन को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना था कि आप लोग केवल बीजेपी की सुनेंगे, आप लोग केवल शाहनवाज हुसैन की ही सुनेंगे।

भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने टीवी चैनल पर डिबेट में कहा कि ऐसा विचित्र आंदोलन नहीं देखा। जो कानून बना नहीं उस पर आंदोलन हो रहा है। आंदोलन का कोई नेता नहीं। जो 32 लोग नेता बन रहे हैं, उनकी कोई फोटो नहीं और जब बवाल हो गया तो कहते हैं, ये किसान नेता नहीं। उनसे पूछा गया था कि लाल किले तक उपद्रवी कैसे पहुंच गए। यहां तो सुरक्षा व्यवस्था काफी चाकचौबंद होती है। सुधांशु का कहना था कि 26 जनवरी को ही ट्रैक्टर परेड क्यों की गई। किसी और दिन भी तो की जा सकती थी। @SudhanshuTrived#GhazipurBorder#FarmersProtest #Dangal @sardanarohit pic.twitter.com/HHaYTskLmx

— AajTak (@aajtak) January 28, 2021


सुधांशु का कहना था कि किसान आंदोलन में नक्सली तत्व पहले से ही इनके बीच घुसे हुए थे। किसान नेताओं को शुरू से ही इन लोगों को चेक करना था। उन्होंने किसान नेता से कहा कि आपका इन लोगों पर कोई कंट्रोल नहीं है। आपने इन लोगों को लाठी लेकर क्यों नहीं दौड़ाया। उनका कहना था कि साझे की हंडिया चौराहे पर ही फूटती है


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